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________________ श्रमरण भगवान् महावीर के ३५वें पट्टधर श्री जयसेन (द्वितीय) जन्म दीक्षा प्राचार्यपद स्वर्गारोहण गृहवास पर्याय सामान्य साधु पर्याय आचार्य पर्याय पूर्ण साधुपर्याय पूर्ण आयु वीर नि. सं. ११४२ वीर नि. सं. १९७४ वीर नि. सं. १९६७ वीर नि. सं. १२२३ ३२ वर्ष २३ वर्ष २६ वर्ष ४६ वर्ष ८१ वर्ष श्रमण भगवान् महावीर के ३४वें पट्टधर प्राचार्य श्री हरिषेण के स्वर्ग गमनानन्तर उनके विद्वान् शिष्य मुनि श्री जयसेन (द्वितीय) को चतुविध तीर्थ द्वारा प्राचार्य पद पर विराजमान किया गया । - -- Jain Education International आचार्य श्राप प्रभु महावीर के ३५वें पट्टधर हुए । ४६ वर्ष की पूर्ण साधु पर्याय में निरतिचार - विशुद्ध श्रमणाचार का परिपालन करने के साथ-साथ आपने २६ वर्ष तक प्राचार्य पद को सुशोभित करते हुए जिनशासन की बड़ी निष्ठा के साथ महती सेवा की । इससे अधिक इनके विषय में कोई उल्लेख कहीं उपलब्ध नहीं होता । इतिहासविदों से इसके लिए अग्रेतर शोध की अपेक्षा है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002073
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year2000
Total Pages934
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Parampara
File Size16 MB
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