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इकत्तीस (३१) युग प्रधानाचार्य श्री स्वाति ( हारित गोत्रीय स्वाति से भिन्न)
जन्म
दीक्षा
सामान्य साधु पर्याय
युगप्रधानाचार्य काल .
वीर नि० सं० १०८७
वीर नि० सं० ११०७
वीर नि० सं० ११०७ से १११५
वीर नि० सं० १११५ से ११६७
वीर नि० सं० ११६७
११० वर्ष, २ मास और दो दिन
स्वर्ग
सर्वायु
तीसवें युगप्रधानाचार्य जिनभद्रगणि क्षमाश्रमरण के स्वर्गस्थ होने पर वीर निर्वारण संवत् १११५ में चतुविध संघ ने आर्य स्वाति को युगप्रधानाचार्य पद पर आसीन किया ।
आर्य स्वाति का नाम उमास्वाति भी उपलब्ध होता है। अनेक पट्टावलियों में इन्हें वाचक भी लिखा गया है ।
प्रायं स्वाति का जन्म वीर निर्वारण सम्वत् १०८७ में हुआ। वीर निर्वारण सं० १९०७ में २० वर्ष की अवस्था में आपने श्रमरण धर्म की दीक्षा ग्रहण की।
वीर निर्वारण सम्वत् १९१५ से ११६७ तदनुसार ८२ वर्ष तक युगप्रधानाचार्य पद का गुरुतर भार वहन करते हुए आर्य स्वाति ने जिन शासन की महती सेवा की ।
११० वर्ष, २ मास और २ दिन की आयु पूर्ण कर आप वीर निर्वाण सम्वत् ११६७ में स्वर्गस्थ हुए ।
उमा स्वाति के सम्बन्ध में 'विचार श्रे रिण' में एक गाथा उपलब्ध होती है जो इस प्रकार है :
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