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श्रमरण भगवान् महावीर के ३४वें श्री हरिषेण
जन्म
दीक्षा
आचार्य पद
स्वर्गारोहरण
गृहवास पर्याय
सामान्य साधु पर्याय
प्राचार्य पर्याय
वीर नि० सं० ११०२
वीर नि० सं० ११४०
वीर नि० सं० १९६७
वीर नि० सं० १९६७
३८ वर्ष
२७ वर्ष
३० वर्ष.
५७ वर्ष
६५ वर्ष
प्रभु महावीर के ३३ वें पट्टधर आचार्य जयसेन के स्वर्गस्थ हो जाने के पश्चात् उनके शिष्य मुनि हरिषेण को वीर प्रभु के ३४वें पट्टधर के रूप में वीर नि० सं० १९६७ में चतुविध संघ द्वारा प्राचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया गया ।
पूर्ण साधुपर्याय
पूर्ण आयु
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पट्टधर
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श्राचार्य
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