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________________ श्रमरण भगवान् महावीर के ३३वें श्री जयसेन जन्म दीक्षा आचार्य पद स्वर्गारोहरण गृहवास पर्याय सामान्य साधु पर्याय आचार्य पर्याय पूर्ण साधुपर्याय पूर्ण आयु पट्टधर प्राचार्य Jain Education International वीर नि० सं० ११०० वीर नि० सं० ११३५ वीर नि० सं० ११४६ वीर नि० सं० ११६७ ३५ वर्ष १४ वर्ष १५ वर्ष ३२ वर्ष ६७ वर्ष श्रमण भगवान् महावीर की विशुद्ध मूल श्रमण परम्परा के ३२ वें पट्टधर आचार्य श्री वीरजस के स्वर्गवास के अनन्तर वीर निर्वारण सं० ११४६ में प्रभु के ३३वें पट्टधर के रूप में विद्वान् श्रमण श्र ेष्ठ श्री जयसेन को चतुविध तीर्थ के श्राचार्य पद पर अधिष्ठित किया गया । श्रापने वीर नि० सं० ११३५ से ११६७ पर्यन्त ३२ वर्ष तक विशुद्ध श्रमणाचार का पालन करते हुए एवं वीर निर्वारण सं० ११४६ से ११६७ तक प्राचार्य पद के गुरुत्तर कार्यभार को सफलतापूर्वक वहन कर जिन शासन की महती सेवा की । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002073
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year2000
Total Pages934
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Parampara
File Size16 MB
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