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श्रमण भगवान् के ३१वें पट्टधर प्राचार्य
श्री वीर सेन
जन्म
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वीर नि. सं. १०४० दीक्षा
, , १०७५ आचार्य पद
,, १११६ स्वर्गारोहण
वीर वि. सं. ११३२ गृहवास-पर्याय
३५ वर्ष सामान्य साधु-पर्याय ४१ वर्ष प्राचार्य-पर्याय ___ - १६ वर्ष पूर्ण साधु पर्याय पूर्ण आयु
- ६२ वर्ष भ. महावीर के ३०३ पट्टधर प्राचार्य श्री जसोभद्र स्वामी के स्वर्गस्थ हो जाने के पश्चात् उनके सकल विद्या निष्णात, क्रियानिष्ठ एवं शास्त्रसार मर्मज्ञ विद्वान् शिष्य श्री वीरसेन को वीर नि. सं. १११६ तदनुसार विक्रम सं. ६४६ में भगवान् महावीर की मूल श्रमण परम्परा के आचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया गया। इस प्रकार आचार्य वीरसेन वीर प्रभु के ३१वें पट्टधर हुए ।
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