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[ जैन धर्म का मौलिक इतिहास - भाग ३
जिनभद्रगरि क्षमाश्रमरण के युगप्रधानाचार्य काल में ही वीर नि० सं० १०६९ में उसकी मृत्यु हो गई । कल्हरण की राजतरंगिणी में उल्लेख है कि मिहिरकुल ने श्रीनगर में मिहिरेश्वर महादेव की स्थापना की और मिहिरपुर नामक नगर बसाया । उस अवसर पर उसने कन्दहार ( कन्धार) के ब्राह्मणों को विपुल दान दिया । अन्त समय में वह रोगग्रस्त हो गया और असह्य पीड़ा के कारण उसने ग्निप्रवेश किया । इस प्रकार कुल मिलाकर ७० वर्ष तक राज्य कर वह पंचत्व को
प्राप्त हुआ ।
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