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________________ द्रव्य परम्परामों के सहयोगी राजवंश ] [ २८५ कदम्ब वंश की दूसरी शाखा के राजाओं का शासन काल निम्नलिखित रूप से उपलब्ध होता है : १. कृष्ण वर्मा (प्रथम । शांति वर्मा का भाई) ई. सन् ४७५ से ४८५ (पल्लवों द्वारा पराजित) २. विष्णु वर्मा (पल्लवों का अधीनस्थ राजा) ई. सन् ४८५ से ४६७ इसमें पल्लवों की सहायता से कदम्ब वंश की बड़ी शाखा के राजा रवि वर्मा पर ईस्वी सन् ४६७ में आक्रमण किया। इस युद्ध में पराजय के साथ-साथ अपने प्राणों से भी हाथ धोना पड़ा। ३. सिंह वर्मा (रवि वर्मा का अधीनस्थ राजा) ई. सन् ४६७ से ५४० ४. कृष्ण वर्मा (द्वितीय) , ५४० से ५६५ कृष्ण वर्मा ने जब देखा कि अपने वंश की बड़ी शाखा के राजा हरि वर्मा के एक शक्तिशाली चालुक्य सामन्त पुलकेशिन् प्रथम ने अपने स्वामी के प्रति विद्रोह कर बाकामी में अपना पृथक राज्य स्थापित कर लिया है और इस प्रकार बनवासी कदम्ब राज की शक्ति क्षीण हो गई है तो उसने हरि वर्मा पर आक्रमण कर उसे परास्त कर अपने राजवंश की बड़ी शाखा के राज्य को समाप्त कर दिया। कृष्ण वर्मा द्वितीय ने एक अश्वमेघ यज्ञ किया और गंग वंश के एक राजकुमार के साथ अपनी बहिन का विवाह कर अपनी शक्ति को अभिवृद्ध किया। ५. अज वर्मा ई. सन् ५६५ से ६०६ यह चालुक्य राज कीर्ति वर्मा का अधीनस्थ राजा रहा। कीर्ति वर्मा को अभिलेखों में "कदम्ब कूल काल रात्रि' कहा गया है। ६. भोगी वर्मा ई. सन् ६०६ से ६१० भोगी वर्मा ने चालुक्य राज की दासता के जूड़े को उतार फेंकने और स्वतन्त्र राजा बनने का प्रयास किया किन्तु चालुक्य राज पुलकेसिन द्वितीय ने उसके विद्रोह को कुचल बनवासी के राज्य पर अधिकार कर लिया।' ऐसा प्रतीत होता है कि युद्ध में भोगी वर्मा और उसके पुत्र की मृत्यु हो जाने के पश्चात् कदम्ब वंश की इस दूसरी शाखा के राज्य का भी अन्त हो गया। इसके पश्चात् कदम्ब वंश की इस शाखा के शासक सामन्तों के रूप में रहे। ई. सन् ६४२ में पुलकेशिन द्वितीय की मृत्यु के पश्चात् कदम्बों के स्वतन्त्र राज्य की संस्थापना के प्रयास किये गये किन्तु ई. सन् ६५५ (वीर निर्वाण सं० ११८२) में विक्रमादित्य प्रथम के सिंहासनासीन होने पर उन्हें अपने प्रयास में सफलता प्राप्त नहीं हुई। अन्ततोगत्वा . ऐहोल का अभिलेख । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002073
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year2000
Total Pages934
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Parampara
File Size16 MB
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