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यापनीय परम्परा
[ २०१ समय तमिलनाडु में भी नारी जाति को धर्म मार्ग पर अग्रसर होने की प्रबल प्रेरणा देने वाला यापनीय संघ एक लोकप्रिय और शक्तिशाली संघ के रूप में रहा होगा।
जो प्राचीन शिलालेख उपलब्ध हुए हैं, उनके अध्ययन से यह तथ्य तो प्रकाश में आता है कि ईसा की चौथी से ११ वीं शताब्दी के बीच की सुदीर्घावधि में स्त्रियों को बहुत बड़ी संख्या ने कर्णाटक प्रदेश में जैन धर्म के प्रचार-प्रसार और उत्कर्ष के लिए अगणित उल्लेखनीय कार्य किये । दक्षिण के विभिन्न क्षेत्रों में महिला वर्ग द्वारा जैन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए विशाल परिमारण में अपूर्व उत्साह के साथ व्रत, नियम, प्रत्याख्यान, संलेखना (संथारा) आदि अध्यात्मपरक धर्माराधन और चैत्य, मठ, मन्दिर, वसदि, निषिधि-निर्माण आदि कार्यों के परिणामस्वरूप यापनीय संघ ईसा की चौथी से ग्यारहवीं शताब्दी तक की अवधि में कर्णाटक प्रदेश का एक प्रमुख एवं शक्तिशाली धर्मसंघ रहा।
__इस सम्बन्ध में दक्षिण के प्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता एवं इतिहासकार स्व० श्री पी. बी. देसाई ने अपनी पुस्तक "जैनिज्म इन साउथ इण्डिया एन्ड सम जैन एपिग्राफ्स" में लिखा है :
___POSITION OF WOMEN:- By for the most outstanding factor, more than any thing else, that might have contributed to the success of the Jaina faith in south India, appears to be the liberal attitude towards women evinced by the Yapanias. For, women are the most potent transmitters of the religious ideas and practices, particularly in India, and the teacher who is able to capture their religious propensities, rules the society. Inspite of their rather not ungenerous attitude towards women, entertained by the teachers of the Brahmanical schools and also of the Buddhist faith, I think, no emphatic assurance like “स्त्रीणां तदभवे मोक्षः", was ever held forth by them. Consequently women must have been induced, in large numbers, to follow the faith that gave them this assurance and quenched their spiritual yearnings.
We meet with a large number of women as lay followers of the Jaina Creed in the inscriptions of Karnataka and it is realised from their social status and religious activities that they played a distinguished role in the propagation of the faith. Besides these, we come accross a good many nuns also. 1
१. जैनिज्म इन साउथ इण्डिया एण्ड सम जैन एपिग्राफ्स, पेज १६८
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