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________________ ६ यापनीय परम्परा देवद्धि गरिण क्षमाश्रमण के स्वर्गारोहण के पश्चात् भगवान् महावीर के मूल धर्म संघ में से पृथक् इकाई के रूप में अथवा पृथक् संघ के रूप में उदित हो सम्पूर्ण धर्म संघ पर कुछ समय के लिए पूर्ण वर्चस्व के साथ छा जाने वाली दक्षिणापथ की परम्परानों में यापनीय परम्परा का अथवा यापनीय संघ का प्रमुख स्थान रहा है । प्राचीन शिलालेखों एवं जैन वांग्मय में इस परम्परा के यापनीय संघ यापुलीय संघ, यावनिक संघ श्रौर गोप्य संघ – ये नाम भी उपलब्ध होते हैं । प्राज यह यापनीय परम्परा भारत के किसी भी भाग में विद्यमान नहीं है किन्तु इस परम्परा के विद्वान् आचार्यों व सन्तों द्वारा लिखित कतिपय ग्रन्थरत्न आज भी उपलब्ध हैं । इस परम्परा के उन ग्रन्थों में प्रमुख हैं यापनीय आचार्य शिवार्य द्वारा प्रणीत २१७० गाथानों का विशाल ग्रन्थ "आराधना" और यापनीय आचार्य अपराजित सूरि द्वारा रचित उसकी विजयोदया टीका । अपराजित सूरि के नाम से विख्यात यापनीय प्राचार्य विजयाचार्य द्वारा निर्मित दशवैकालिक सूत्र की 'विजयोदया टीका' के उद्धरण भी यत्र-तत्र उपलब्ध होते हैं । इन तीन ग्रन्थों के अतिरिक्त यापनीय प्राचार्य शाकटायन अपर नाम पाल्यकीर्ति द्वारा प्रणीत 'स्त्रीमुक्ति प्रकरण', 'केवलिभुक्ति प्रकरण' और 'शब्दानुशासन अमोघवृत्ति' ये तीन ग्रन्थ भी उपलब्ध होते हैं । इन्द्रश्चन्द्रः कासकृत्स्न्यापिसली शाकटायनः । पारिणन्यमर जैनेन्द्राः, इत्यष्टौ हि शाब्दिका ॥ संस्कृत साहित्य के इस लोकप्रसिद्ध श्लोक में शाकटायन को महान् शाब्दिक ( वैयाकरणी ) माना गया है । मूलाचार में दृब्ध तथ्यों के सूक्ष्म विवेचन के पश्चात् कतिपय विद्वानों ने यह अभिमत अभिव्यक्त किया है कि इसके रचनाकार आचार्य बट्टकेर ( ईसा की दूसरी शताब्दी) भी सम्भवतः यापनीय परम्परा के ही आचार्य थे । ' यापनीय परम्परा और उसके अनेक गच्छों से सम्बन्धित कुल मिलाकर ३१ शिलालेख केवल एक ही ग्रन्थमाला, जैन शिलालेख संग्रह - प्रथम, द्वितीय और " दी जैन पाथ ग्राफ प्यूरिफिकेशन - श्री पद्मनाभ एस. जैनी, पृष्ठ ७६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002073
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year2000
Total Pages934
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Parampara
File Size16 MB
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