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________________ कृतज्ञता ज्ञापन करने के लिए हमारे पास शब्द नहीं हैं। हम इसके लिये उनके अत्यन्त ऋणी हैं। श्रीमान् कैलाश जी सा. दूगड़ (मद्रास निवासी) ने एक वर्ष तक पूरे समय के लिए एक लिपिक को कनिमरा लाइब्रेरी में नियत कर जरनलों से ऐतिहासिक सामग्री का संकलन करवाने में, श्रीमान चमनलालजी सा. मूथा रायचूर निवासी ने कर्णाटक और विदेशों से ऐतिहासिक सामग्री के संकलन में तथा स्व. बाबाजी महाराज श्री जयन्त मुनिजी के सुपौत्र श्री रेखचन्दजी चौधरी (पीपाड़ निवासी) ने तमिलनाडु एवं कर्णाटक में हमारे शोधार्थी विद्वान् के साथ घूम-घूमकर महत्वपूर्ण ऐतिहासिक सामग्री के संकलन में उल्लेखनीय सहयोग प्रदान किया। अतः हम इन तीनों महानुभावों की श्रुतसेवा की मुक्तकंठ से सराहना करते हैं। इस ग्रन्थ की शब्दानुक्रमणिका तैयार करने में श्रीमती मंजुलाजी बम्ब एवं श्री प्रमोदजी पालावत अलवर निवासी ने जो अपना अमूल्य समय एवं श्रम दिया हम उनके प्रति भी आभार प्रकट करते हैं। सम्पादक मंडल के समस्त सदस्यों के प्रति भी इस अनुपम सम्पादन सहयोग के लिए अपना हार्दिक आभार प्रकट करते हैं। अन्त में हम अपने आराध्य गुरुदेव आचार्य श्री हस्तीमलजी महाराज साहब के प्रति अपनी प्रगाढ़ निष्ठा एवं श्रद्धाभक्ति के साथ अपनी आन्तरिक कृतज्ञता ज्ञापन करते हुए अत्यन्त हर्ष का अनुभव कर रहे हैं कि जिन्होंने जिन शासन की प्रभावना के अनेकानेक ठोस कार्यों के साथ-साथ इस इतिहास लेखन के कार्य को भी अपना उचित एवं अनुपम मार्ग-दर्शन देकर समाज पर असीम उपकार किया है। चेतनप्रकाश डूगरवाल विमलचंद डागा पारसचंद हीरावत चन्द्रराज सिंघवी मंत्री अध्यक्ष मंत्री सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल जैन इतिहास समिति अध्यक्ष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002073
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year2000
Total Pages934
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Parampara
File Size16 MB
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