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[ जैन धर्म का मौलिक इतिहास- भाग ३
_इस ग्रंथमाला के सूत्रधार (जैनाचार्य श्री हस्तीमल जी म.) ने एतद्विषयक सभी ऐतिहासिक तथ्यों के अवलोकन के पश्चात् प्राचार्य कुन्दकुन्द का समय वीर निर्वाण सं. १००० तदनुसार वि. संवत् ५३०, ई. सन् ४७३ और शक सं. ३६५ के आस-पास का अनुमानित किया है।' आचार्य श्री ने अनेक ऐतिहासिक पुष्ट प्रमाणों से प्राचार्य कुन्दकुन्द का जो समय अनुमानित किया है, उसकी पुष्टि एक और ऐतिहासिक प्रमाण से होती है। वह प्रमाण है नियमसार की गाथा संख्या सत्रह । प्राचार्य कुन्दकुन्द ने अपने ग्रन्थ 'नियमसार' की गाथा सं. १७ में लिखा है :
चउदह भेदा भरिणदा तेरिच्छा, सुरगणा चउब्भेदा ।
एदेसि वित्थारं, लोयविभागेसु णादव्वं ॥१७।। इस गाथा में प्राचार्य कुन्दकुन्द ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि चारों गतियों के जीवों के भेद के विषय में विस्तृत जानकारी लोक विभाग से की जाय । इस गाथा से यह तो निर्विवाद रूपेण सिद्ध हो जाता है कि "लोक विभाग" नामक ग्रन्थ की रचना आचार्य कुन्दकुन्द से पूर्व हो चको थी। अब यह प्रश्न उपस्थित होता है कि 'लोक विभाग' नामक ग्रन्थ की रचना किस समय की गई ? जैन वाङ्गमय के ग्रन्थों की प्राचीन एवं प्रामाणिक सूची में "लोक विभाग” नामक दो ग्रन्थों का उल्लेख है, एक तो प्राकृत भाषा में दब्ध 'लोक विभाग' का और दूसरा उसी के संस्कृत रूपान्तर 'लोक विभाग' का । प्राकृत भाषा में ग्रथित लोक विभाग आज कहीं उपलब्ध नहीं है। किन्तु सिंह सूरर्षि ने प्राकृत भाषा के उस 'लोक विभाग' नामक ग्रन्थ का संस्कृत भाषा में पद्यानुवाद किया, वह आज उपलब्ध है । प्राकृत भाषा में निबद्ध मूल 'लोक विभाग' के रचयिता आचार्य सर्वनन्दि का सुनिश्चित समय बताते हुए सिंह सूरपि ने मूल लोकविभाग का संस्कृत में अनुवाद प्रस्तुत करते हुए अपनी इस रचना (संस्कृत) 'लोक विभाग' में लिखा है :--- विश्वे स्थिते रविसुते वृषभे च जीवे,
राजोत्तरेषु सितपक्षमुपेत्य चन्द्र ।।१।। ग्रामे च पाटलिकनामनि पाण्ड्य राष्ट्र,
शास्त्रं पुरा लिखितवान् मुनि सर्वनन्दिः ।।२।। संवत्सरे तु द्वाविंशे कांचीश सिंहवर्मणः ।
प्रशीत्यग्रे शकाब्दानां, सिद्धमेतच्छतत्रये ।।३।। अर्थात्-पाण्डय राष्ट्र के पाटलिक नामक ग्राम में काञ्चीपति सिंह वर्मा के राज्य के बीसवें वर्ष में मुनि सर्वनन्दि ने शक सं. ३८० (वि. मं. ५१५, ई. सन् ४५८, वीर नि. सं. १८५) में लोक विभाग की रचना की।
१ जैन धर्म का मौनिक इतिहास, भाग २, पृष्ट ७५६-७६८
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