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[ जैन धर्म का मौलिक इतिहास-भाग ३
न्यायवादी होने के कारण मान जाएंगे कि इनके उपासकों के अभाव में वसतिवासियों को यहां नहीं रहने दिया जाना चाहिये। इस प्रकार की बात जब उन सब राज्याधिकारियों ने महाराज दुर्लभराज के समक्ष कही तो तत्काल श्री जिनेश्वर सूरि ने कहा- "इनमें से कोई श्रीकरणाधिकारी का गुरु है, कोई मन्त्री का, तो कोई पटवों आदि का। इस प्रकार इन सब चैत्यवासी आचार्यों का किसी न किसी से सम्बन्ध है, पर हम नवागन्तुकों का किससे सम्बन्धहै ?" इस पर दुर्लभराज ने दृढ़ स्वर में कहा-"प्रापका हम से सम्बन्ध है।"
(जिनेश्वरसरि ने पूनः कहा--"महाराज! इनमें से प्रत्येक प्राचार्य का किसी न किसी से सम्बन्ध होने के कारण ये सब किसी न किसी के गुरु हैं पर आज तक यहां के लोगों में से हमारा किसी के साथ सम्बन्ध न होने के कारण हमारा न तो किसी से कोई सम्बन्ध ही है और न हम किसी के गुरु ही हैं।
- यह बात सुन कर राजा दुर्लभराज ने तत्काल उन नवागन्तुक वसतिवासी मुनियों को अपना गुरु बनाया। उन्हें अपना गुरु बनाने के पश्चात् राजा ने कहा"हमारे गुरु इस प्रकार नीचे क्यों बैठे ? क्या हमारे पास गद्दियां नहीं हैं। मेरे इन गुरुपों में से प्रत्येक गुरु को रत्नजटित वस्त्रों से निर्मित सात सात गद्दियां दी जायं ।"
राजा का इंगित पाकर ज्यों ही राजभृत्य उन वसतिवासी साधुओं के लिये गद्दियां लाने को उठे त्यों ही जिनेश्वरसूरि ने कहा- “महाराज ! साधुनों के लिये गद्दी पर बैठना अकल्पनीय है । क्योंकि धर्मनीति में कहा है :
भवति नियतमेवासंयमः स्याद्विभूपा,
नृपतिककुद ! एतल्लोकहासश्च भिक्षोः । स्फुटतर इह संगः सातशीलत्वमुच्चै
रिति न खलु मुमुक्षो: संगतं गन्दिकादि ।। अर्थात् गद्दी पर बैठने से साधु को अपने संयम में निश्चित रूप से असंयम के दोष लगते हैं । गद्दी पर बैठना विभूषा की गगाना में भी पाता है और विभूषा साध के लिये एकान्ततः वजित है । हे नृपशिरोमणि ! गद्दी पर बैठने से साधु लोगों में हंसी का पात्र बनता है । क्योंकि साधु का मूल गुण है त्याग और गद्दी वस्तुतः भोग और वैभव की प्रतीक है । गद्दी पर बैठने से ममत्वभाव के उदगम के कारण साधु का मूल गुण निस्संगता समाप्त हो उसमें संग अर्थात् प्रासक्ति का दोष उत्पन्न हो जाता है। इसके माथ ही साथ गद्दी पर बैठने से माध में उच्चकोटि का शैथिल्य प्रा जाता है । इन सब दोपों को दृष्टिगत रखते हा माधू के लिये गद्दी पर वैठना किसी भी प्रकार संगत नहीं, वजित ही माना गया है।"
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