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________________ १९८ : जैनधर्म का यापनीय सम्प्रदाय है। इससे भो यह सिद्ध होता है कि वरांगचरितकार जटासिंहनन्दि को स्त्रो दीक्षा और सवस्त्र दोक्षा मान्य थी। जबकि कुन्दकुन्द स्त्री दीक्षा का स्पष्ट निषेध करते हैं। (११) वरांगचरित में स्त्रियों के दोक्षा का स्पष्ट उल्लेख है उसमें कहीं भी ऐसा उल्लेख नहीं है कि स्त्री को उपचार से महाव्रत होते हैं, जैसा कि दिगम्बर परम्परा मानती है। इस ग्रन्थ में उन्हें तपोधना, अमितप्रभावी, गगाग्रणी, संयमनायिका जैसे सम्मानित पदों से अभिहित किया गया है। साध्वी वर्ग के प्रति ऐसा आदरभाव कोई श्वेताम्बर या यापनीय आचार्य ही प्रस्तुत कर सकता है। अतः इतना निश्चित है कि जटासिंहनन्दि का वरांगचरित कुन्दकुन्द की उस दिगम्बर परम्परा का ग्रन्थ नहीं हो सकता, जो स्त्रियों की दीक्षा निषेध करती हो या उनको उपचार से ही महाव्रत कहे गये हैं, ऐसा मानती हो। कुन्दकुन्द ने सूत्रप्राभूत गाथाक्रमांक २५ में एवं लिङ्गप्राभुत गाथाक्रमांक २० में स्त्री दीक्षा का स्पष्ट निषेध किया है, यह हम पूर्व में दिखा चुके हैं। (१२) वरांगचरित में श्रमणों और आयिकाओं को वस्त्र दान की चर्चा है। यह तथ्य दिगम्बर परम्परा के विपरीत है। उसमें लिखा है कि “वह नृपति मुनि पुङ्गवों को आहारदान, श्रमणों और आर्यिकाओं को वस्त्र और अन्नदान तथा दरिद्रों को याचित दान (किमिच्छदानं) देकर कृतार्थ १. विशीर्णवस्त्रावृतगात्रयष्टयस्ताः काष्ठमात्रप्रतिमा बभूवुः । -वरांगचरित, ३१/१३ २. (अ) इत्थीसु ण पावया भणिया। -सूत्रप्राभृत २५ (ब) दंसणणाणचरित्ते महिलावग्गम्मि देहि वीसहो। पासत्थ वि हु णियट्ठो भावविणट्टो ण सो समणो । -लिंगपाहुड २० ३. (अ) नरेन्द्रपत्न्यः श्रुतिशोलभूषा प्रतिपन्नदीक्षास्तदा बभूवुः परिपूर्णकामाः ॥३१/१॥ दीक्षाधिराज्यश्रियमभ्युपेता"" ॥३१/२।। (ब) नरवरवनिता विमुच्य साध्वीशमुपययुः स्वपुराणि भूमिपालाः ॥२९/९९।। (स) व्रतानि शीलान्यमृतोपमानि" ॥३१/४॥ (द) महेन्द्रपल्यः श्रमणत्वमाप्य"" ॥३१/११३॥-वरांगचरित ४. तपोधनानाममितप्रभावा गणाग्रणो संयमनायका सा। -वरांगचरित, ३१/६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002068
Book TitleJain Dharma ka Yapniya Sampraday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1996
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Religion
File Size10 MB
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