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________________ "१७४ : जैनधर्म का यापनीय सम्प्रदाय उत्तराध्ययन, दशवैकालिक, कल्प, व्यवहार, निशीथ आदि से अनेक स्थलों पर गाथायें उद्धृत की गई हैं । भगवती-आराधना को विजयोदया टीका में इनकी अनेक गाथायें निर्दिष्ट हैं और छेदपिण्डशास्त्र, छेदनवनति आदि में इन ग्रन्थों की प्रमाणिकता का उल्लेख है । यद्यपि जिनसेन और हरिषेण ने इन सभी ग्रन्थों को भगवान द्वारा उपदिष्ट बता दिया है, यह सम्भवतः इसलिए किया गया होगा कि इन ग्रन्थों की प्रमाणिकता बनी रहे। किन्तु इस उल्लेख से इतना तो स्पष्ट है कि जिनसेन को ये ग्रन्थ प्रमाण रूप में मान्य थे। इससे उनका यापनीय परंपरा से संबंधित होना सिद्ध हो जाता है। क्योंकि मात्र यापनीय परंपरा में ही नवीं शती तक इन ग्रन्थों का प्रचलन रहा है और इन ग्रन्थों के विच्छेद की बात भी हरिवंश पुराण में नहीं कही गई है। ५. समन्तभद्र, देवनन्दी आदि दिगम्बर आचार्यों के साथ सिद्धसेन आदि श्वेताम्बर तथा इन्द्र (नन्दी), वज्रसरि, रविष्ण, वराङ्ग आदि यापनीय आचार्यों का ग्रन्थ के प्रारम्भ में आदर पूर्वक उल्लेख यही सिद्ध करता है कि वे उदार यापनोय परंपरा से सम्बद्ध रहे होंगे। (६) हरिवंश पुराण में हमें सग्रन्थमुक्ति और अन्य लिङ्गमुक्ति के भी निर्देश प्राप्त होते हैं। जिस प्रकार श्वेतांबर परंपरा में मान्य उत्तराध्ययनसूत्र में मुक्ति के सन्दर्भ में विभिन्न दृष्टियों से विचार किया गया है उसी दशवैकालिकं वक्ति गोचरग्रहणादिकम् । उत्तराध्ययनं वीरनिर्वाणगमनं तथा ।। तत्कल्पव्यवहाराख्यं प्राह कल्पं तपस्विनाम् । अकल्प्यसेवनायां च प्रायश्चित्तविधि तथा ।। यत्कल्पाकल्पसंज्ञं स्यात् कल्पाकल्पद्वयं पुनः । महाकल्पं पुनद्रव्यक्षेत्रकालोचितं यतेः ॥ देवोपपादमाचष्टे पुण्डरीकाख्यमप्यतः । देवीनामुपपादं तु पुण्डरीकं महादिकम् ॥ निषद्यकाख्यमाख्याति प्रायश्चित्तविधि परम् । अङ्गवाह्यश्रुतस्यायं व्यापारः प्रतिपादितः ॥ -हरिवंश १०।१३०-१३८ १. देखें-इस अध्याय में भगवती आराधना, उसकी विजयोदया टीका तथा छेदपिण्ड शास्त्र सम्बन्धी विवरण । २. हरिवंशपुराण १।२९-३६ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002068
Book TitleJain Dharma ka Yapniya Sampraday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1996
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Religion
File Size10 MB
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