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________________ १२० : जैनधर्म का यापनीय सम्प्रदाय भी अंगवाह्य के विच्छेद का कोई प्रश्न नहीं उठाया गया है । वस्तुतः तिलोयपण्णत्ति के अनुसार श्रुततीर्थं का विच्छेद वीरनि० २०३१७ में होगा अर्थात् तब तक श्रुत का एकदेश विद्यमान रहेगा ही ( देखिए, ४. गा० १४७५ – १४९३ ) । तिलोय पण्णत्ति में प्रक्षेप की मात्रा अधिक है फिर भी उसका समय डॉ० उपाध्ये ने जो निश्चित किया है वह माना जाय तो ई० सन् ४७३ और ६०९ के बीच है । तदनुसार भी उस समय तक सर्वथा श्रुतविच्छेद की चर्चा नहीं थी । तिलोयपण्णत्ति का ही अनुसरण धवला में माना जा 1 सकता है ।" 1 इन सब आधारों पर यतिवृषभ और उनके ग्रन्थ तिलोयपण्णत्ति को भी यापनीय मानना होगा । साथ ही यह भी मानना होगा कि उसमें जो कुछ यापनीय परम्परा के विरोध का अंश है वह प्रक्षिप्त अंश है । क्योंकि उसमें हुए प्रक्षेपों को तो पं० फुलचन्दजी और पं० नाथूरामजी प्रेमी जैसे दिग्गज विद्वान् पूर्व में ही स्वीकार कर चुके हैं । भगवती आराधना 'आराधना' या 'भगवती आराधना' यापनीय परम्परा का एक और महत्वपूर्ण ग्रन्थ है । इसके रचयिता शिवार्य हैं । ग्रन्थ के अन्त में ग्रन्थकार ने स्वयं लिखा है कि "आर्य जिननंदी गणि, आयं सर्वगुप्त गणि और आर्य मित्रनंदी के चरणों के निकट सूत्रों और उनके अभिप्राय को अच्छी तरह से समझ करके पूर्वाचार्यों द्वारा निबद्ध की हुई रचनाओं के आधार से पाणितल भोजी शिवायं ने यह आराधना अपनी शक्ति के अनुसार रची । ग्रन्थकर्त्ता ने अपने और अपने तीनों गुरुओं के लिए 'आर्य' विशेषण १. जैन साहित्य का वृहद् इतिहास भाग १ प्रस्तावना, पृ० ४७-४९ । २. अज्जजिणणंदिगणि सव्वगुत्त गणि-अज्ज मित्तणंदीणं । अवगमिय पादमूले सम्मं सुत्तं च अत्यं च ॥ पुव्वायरियणिबद्धा उवजीवित्ता इमा ससत्तीए । आराधना सिवज्जेण पाणिदलभोइणा रइदा ॥ छदुमत्थदाए एत्थ दुजं बद्धं होज्ज पवयणविरुद्धं । सोधेंतु सुगीदत्था पवयण वच्छलदाए दु ॥ आराधणा भगवती एवं भत्तीए वण्णिदा संती । संघस्स सिवज्जस्स य समाधिवरमुत्तमं देउ ॥ भगवती आराधना - २१५९, २१६०, २१६१, २१६२ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002068
Book TitleJain Dharma ka Yapniya Sampraday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1996
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Religion
File Size10 MB
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