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________________ प्राकृत वाक्यरचना बोध आदि अकार को आकार विकल्प से होता है। अकार ? आ सामिद्धी, समिद्धी । समृद्धिः) सारिच्छो, सरिच्छो (सदृक्षः) पासिद्धी, पसिद्धी (प्रसिद्धिः), माणंसी, मणंसी (मनस्विन्) पायडं, पयर्ड (प्रकटम् ) ... माणंसिणी, मणंसिणी (मनस्विनी) पाडिवआ, पडिवआ (प्रतिपत्) आहिआई, अहिआइ (अभियाति) पासुत्तो, पसुत्तो (प्रसुप्तः) पारोहो, परोहो (प्ररोहः) - पाडिसिद्धी, पडिसिद्धी (प्रतिसिद्धिः) पावासू पवासू (प्रवासिन्) पाडिप्फद्धी, पडिप्फद्धी (प्रतिस्पद्धिन्) नियम ४६ (दक्षिणे हे ११४५) दक्षिण शब्द के आदि अ को आ हो जाता है ह परे हो तो। अकार 7 आ दाहिणी (दक्षिणः) । नियम ७७ (इ: स्वप्नादौ १:४६) स्वप्न आदि शब्दों के आदि अ को इ होता है। अकार 7 इ सिविणो सिमिणो (स्वप्नः) मुइङ्गो (मृदङ्गः) ईसि (ईषत्) किविणो (कृपणः) वेडिसो (वेतसः) उत्तिमो (उत्तमः) विलिअं (व्यलीक) मिरिअं (मरिचम्) विअणं (व्यजनम्) दिण्णं (दत्तम्) नियम ७८ (पक्वाङ गार ललाटे वा २४७) पक्व, अंगार और ललाट शब्दों के आदि अ को इ विकल्प से होता है । पिक्कं, पक्कं (पक्वम्) । इङ्गालो, अंगारो (अङ्गारः) । णिडालं णडालं (ललाटम्)। नियम १६ (मध्यम कतमे द्वितीयस्य ११४८) मध्यम और कतम शब्द के दूसरे अ को इ होता है । अकार 7 इ मज्झिमो (मध्यमः) कइमो (कतमः) नियम ८० (सप्तपणे वा २४६) सप्तपर्ण शब्द के दूसरे अ को इ विकल्प से होता है । छत्तिवण्णो, छत्तवण्णो (सप्तपर्णः)। नियम ८१ (मयट्याइ ११५०) मयट् प्रत्यय के आदि अ के स्थान पर अइ आदेश विकल्प से होता है ।। अकार 7 इ विसमइओ, विसमओ (विषमयः) नियम ८२ (हिरेवा ११५१) हर शब्द के आदि अ को ई विकल्प से होता है। अकार 7ई हीरो, हरो (हरः) नियम ८३ (ध्वनि विष्वचो हः १२५२) ध्वनि और विष्वम् शब्दों के आदि अ को उ होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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