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________________ स्वरादेश १ अकार को मा, ई, उ, आवेश शब्द संग्रह (रोटी आदि वर्ग) रोटी--रुट्रिआ (दे) चने का आटा-वेसणं रोट-रोट्टगो (दे०) गेहूं का आटा (मैदा)-समिआ वाटी -अंगारपरिपाचिआ (सं) आटा-चुण्णं, अट्टगं (दे०) चपाती, फुलका----छप्पत्तिआ (दे०) गूदा हुआ वासी आटा---- पूरी-पोलिआ अवसामिआ (दे०) मोठ की रोटी--मकुट्ट रुट्टिा (सं) चने की रोटी-चणरुट्टिआ(सं) मक्की की रोटी-मकाय रुट्टिआ (सं) उड़द की रोटी--मासरुट्टिआ बाजरी की रोटी-बज्जरी रुट्टिआ परोठा-घयचोरी (सं) डबलरोटी--अन्भूसो (सं) बिस्कुट----पिट्ठगो (सं) जो की रोटी-जवरुट्टिआ प्रकृति--.-पगई (स्त्री) सत्तू-सत्तू (पुं) खट्टा--खट्ट व्यवहार-~-ववहारो धातु संग्रह चिण--चुनना फुड--फोडना, फटना निमील----बंद होना अट्ट--घूमना कुप्प---क्रोध करना संपज्ज-सम्पन्न होना उम्मिल्ल-.-खुलना अहिलस-अभिलाषा करना अध्यय संग्रह इओ, इतो (इतः)---इस तरफ, इधर से गाणा (नाना)-नाना प्रकार एगंततो (एकान्ततः)-एकान्त रूप से बहिद्धा (दे०)---बाहर केवच्चिरं (कियच्चिरं)--कितने लम्बे काल तक तहिं (तत्र)-वहां आम (आम)--हां जहिं (यत्र)-जहां • आत्मन शब्द के रूप याद करो। देशो-परिशिष्ट १ संख्या १५ नियम ७५ (अतः समृत्यादौ वा १०४४) समृद्धि आदि शब्दों के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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