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________________ सात ही विद्यार्थियों से प्राकृत में वाक्य बनवाए गए हैं, जिससे उनका अभ्यास पुष्ट होता चला जाए। • प्रश्न शीर्षक के अन्तर्गत पाठ में आए सारे शब्दों व धातुओं आदि के अर्थ पूछे गए हैं। नियमों संबंधी अनेक जिज्ञासाएं की गई हैं। कहींकहीं उनका अपने वाक्य में प्रयोग करवाया गया है। इस प्रक्रिया से विद्यार्थी को न केवल शब्दों, धातुओं, अध्ययों तथा नियमों का ज्ञान बढता है अपितु वाक्यरचना का बोध भी सुगम हो जाता है, प्राकृत में वाक्य बनाना भी सरल हो जाता है। ० प्राकृत के अतिरिक्त उसकी उपभाषा शौरसेनी, मागधी, पैशाची, चूलिका पैशाची और अपभ्रंश के नियम तथा वाक्य प्रयोग भी दिए गए हैं। ० वाक्य रचना के साथ-साथ प्राकृत व्याकरण का भी ज्ञान हो, इस दृष्टि से हेमचंद्राचार्य की प्राकृत व्याकरण के सूत्रों को हिन्दी के अर्थ सहित प्रस्तुत किया गया है। ० प्राकृत व्याकरण में (दीर्घह्रस्वी मिथो वृत्तौ ११४) के अतिरिक्त समास के लिए कोई सूत्र नहीं है। प्राकृत साहित्य में समासित पद मिलते हैं, उनको समझने के लिए (शेषं संस्कृतवत् सिद्धम् ४१४४८) सूत्र के अनुसार संस्कृत व्याकरण का आधार लेकर समास प्रकरण को विस्तार दिया गया है। • संधि और तद्धित के प्रत्ययों में भी संस्कृत व्याकरण के सूत्रों का उपयोग किया गया है। • पहले परिशिष्ट में प्राकृत की शब्द रूपावली है। ० दूसरे परिशिष्ट में प्राकृत की धातु रूपावली है। ० तीसरे परिशिष्ट में अपभ्रंश की शब्द रूपावली है। • चौथे परिशिष्ट में अपभ्रंश की धातु रूपावली है। ० पांचवे परिशिष्ट में वर्गों के शब्द अर्थ सहित हिन्दी के अकारादि क्रम • छठे परिशिष्ट में धातुएं हिन्दी के अर्थ सहित हिन्दी के अकारादि । क्रम से हैं। ० सातवें परिशिष्ट में प्राकृत भाषा की समकालीन वैदिक संस्कृत के साथ समानता दिखाई गई है। ० ऐसा विश्वास है इस पुस्तक के माध्यम से विद्यार्थी प्राकृतभाषा में सरलता से प्रवेश कर सकेंगे। • दो वर्ष पूर्व युवाचार्यश्री महाप्रज्ञ विरचित वाक्यरचना (भाग १.२.३.) को नवीन विधा से संपादन किया था, जो संस्कृत वाक्यरचना बोध नाम से प्रकाशित हुई थी । उसके फलस्वरूप युवाचार्य श्री ने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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