________________
संधि (५)
नूनम्-नूण, नूणं इदानीम्-इआणि, दाणि, दाणि किम्--कि, कि संमुखः---समुहो, संमुहो किंशुक:-- -केसुओ, किंसुओ सिंहः-सीहो, सिंहो
नियम १८ [वर्गेन्त्यो वा १३०] अनुस्वार के बाद वर्ग का कोई व्यंजन परे हो तो उसी वर्ग का पांचवां व्यंजन विकल्प से हो जाता है।
पंक:- पङ को, पंको कंडम् --- कण्डं, कंडं शंख :--सङखो, संखो षंढ:-- सण्डो, संढो अंगनम् -- अङ गणं, अंगणं अन्तरम्--अन्तरं, अंतरं लंघनम् ---लङघणं, लंघणं पन्थ:----पन्थो, पंथो कञ्चुकः--कञ्चुओ, कंचुओ । चंदो-चन्दो, चंदो लंछनम् --लञ्छणं, लंछणं बंधवः ---बन्धवो, बंधवो अंजनम् - अञ्जणं, अंजणं कंपति-~कम्पइ, कंपइ संझा-सञ्झा, संझा वंफति-- वम्फड, वंफइ कंटक:--कण्टओ, कंटओ कलंब:--- कलम्बो, कलंबो कंठः- कण्ठो, कंठो
आरंभः—आरम्भो, आरंभो। नियम १९ [वकादावन्तः ११२६] वक्र आदि शब्दों में कहीं पहले स्वर के बाद, कहीं दूसरे स्वर के बाद, कहीं तीसरे स्वर के बाद अनुस्वार का आगम होता है। वक्र-वंकं । व्यत्रं-तंसं । अश्रु-अंसु । श्मश्रु:-....मंसू । पुच्छं--पुंछं। गुच्छं----गुंछं। मूर्द्धन्---मुंढा । पशु :--... पंसू । बुध्न ----बुधं । कर्कोट: ---- कंकोडो , कुड्मलं-- कुंपलं । दर्शनं-दसणं । वृश्चिक:----विछिओ । गृष्टि:----गिंठी । मार्जार:--मंजारो। इनमें पहले स्वर
के बाद आगम हुमा है। वयस्यः-वयंसो । मनस्विन्—मणंसी। मनस्विनी-- • मणंसिणी । मनःशिला--- मणंसिला । प्रतिश्रुत्--पडंसुआ। इनमें दूसरे स्वर के
बाव आगम हुआ है। उवरि---अवरि । अतिमुक्तक:-अइमुंतयं, अणिउतयं--- इनमें तीसरे स्वर के बाद आगम हुआ है।
नियम २० [अतो विसर्गस्य ११३७] अकार से परे विसर्ग को डो (ओ) आदेश होता है। सर्वतः-सव्वओ। पुरत:--पुरओ। अग्रत:---.. अग्गओ। भवतः- भवओ। भवन्तः- भवन्तो । सन्तः---संतो।
नियम २१ [वीपस्यात्स्यावे:स्ये स्परे मोवा ३३१] वीप्सार्थक पद से परे स्यादि प्रत्यय के स्थान पर स्वरादि वीप्सार्थक पद परे रहने पर म् विकल्प से होता है । एकैकम्---एक्कमेक्कं । अङ्गेअङ्गे--अङ्ग मङ्गम्मि ।
कुछ शब्दों में दो पदों के बीच 'म' का आगम हो जाता है। चित्त--आणंदियं -चित्तमाणंदियं । जहा+इसि-जहामिसि इह+आगओ= इहमागओ। हतुट्ठ+अलंकिअं हतुट्ठमलंकिवं
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org