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________________ १६ व्यंजन संधि (अनुस्वार) कचहरी नायालयो जज --- नायगरो वादी - वाई (वि) साक्षी, गवाह सक्खि (वि) जामिनदार - पडिभू (वि) पाहुओ (वि) सजा --- शब्द संग्रह ( न्यायालय वर्ग ) अर्जी -- आवेयणपत्तं - दण्डो बयान -- उवसत्ती (सं) अनुवाद - अणुवायो न्याय- -नायो अपील ---- पुणरावेयणं इकरारनामा --पइण्णापत्तं ( सं ) निवज्ज-बैठना निवज्ज- - लेट जाना, सोना उक्कुद्द — कूदना, उछलना निवेस - बैठना वकील - वायकीलो ( वाक्कील: ) दफ्तर -- अक्ख पडलो (सं) प्रतिवादी - पडिवाई (वि) गवाही --सक्ख, सक्खिज्जं -णासो घूस - उक्कोडा (दे.) - उक्कोया मुकदमा --- अभिओगो (सं) जिस पर दावा किया गया हो जमानत --- Jain Education International घूस लेकर कार्य करने वाला- फैसला णिष्णयो धातु संग्रह पsिaक्खियो उक्कोडिय (वि) निवज्ज - नीपजना, निष्पन्न होना अवसीय - - दुःखपाना छिंद-छेदना किलिस्स-क्लेशपाना अव्यय संग्रह दिवारतं ( दिवारात्र) - दिनरात पडिरूवं ( प्रतिरूपं ) - समान परंमुह ( पराङ्मुखं ) – विमुख पायो, पाओ, ( प्रायः ) -- प्रायः पुरत्या ( पुरस्तात् ) -- आगे, सम्मुख पुहं, पिहं (पृथक् ) —अलग स्त्रीलिंग के जा, सा, का, असु, इमा, एआ शब्द याद करो । देखो - परिशिष्ट १ संख्या ४४ व ४५ ख, ४६ ख, ४६ ख, ४७ ख ४८ ख, व्यंजन संधि--पद के अंत में होने वाले व्यंजन अथवा मध्यवर्ती व्यंजन में होने वाले परिवर्तन को व्यंजन संधि कहते हैं । नियम १३ ( मोनुस्वारः ११२३ ) अंत में होने वाले मकार को अनुस्वार हो जाता है । पद का अंतिम म् 7 अनुस्वार जलम् -- जलं, फलम् - फलं, वच्छम् वच्छं For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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