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________________ ५४ प्राकृत वाक्यरचना बोध श्लोक धारण करना चाहिए । जंबूस्वामी का कब निर्वाण हुआ ? जो धर्म की आराधना करता है उसका वह समय मूल्यवान । दूसरों का सुख देखकर वह मन में क्यों दुख पाता है ? वह बात-बात में क्यों उछलता है ? हम लोग कल उस गांव का उल्लंघन करेंगे। जगदीश अपने घर का भार अकेला बहन करता है । वे खेद क्यों करते हैं ? अव्यय का प्रयोग करो उसके बाद गीतिका गानी है । वह तुम्हारे पास आएगा क्योंकि वह कुछ पूछना चाहता है । इस घटना के तुम ही एक मात्र दर्शक हो । जल्दी पानी लाओ। तुम शीघ्र इस पाठ को याद करो । कषाय चार प्रकार के होते हैं, जैसे- क्रोध, मान, माया और लोभ न १. अम्ह शब्द के रूप लिखो । २. अव्यय संधि किसे कहते हैं ? ३. पद से परे अपि और इति अव्यय हो तो कौन-सा नियम क्या विधान करता है ? दो-दो उदाहरण देकर स्पष्ट करो । ४. सर्वनाम और अव्यय के स्वर से परे सर्वनाम या अव्यय का स्वर हो तो क्या कार्य होता है ? दो उदाहरण दो । ५. चारपाई, चौकी, बेंच, मेज, काठशय्या, पीढा, सौफा, झूला, कुर्सी, ईंट, साजी, गोंद, काष्ठ का तख्ता, एनक, फिटकरी, साबुन, पंखा, टूथपेष्ट, दांत का ब्रश, टूथपाउडर शब्दों के लिए प्राकृत के शब्द बताओ । ६. आभोय, परिणिव्वा, मल, आरोव, आराह, उप्फिड, साव, णिव्विस, सीअ और अइवत्त धातु के अर्थ लिखो । ७. पच्छा, जओ, तंजहा, चिअ, झत्ति और तप्पभिइ अभ्ययों का वाक्य में प्रयोग करो । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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