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प्राकृत वाक्यरचना वोध खीरं पिवामि । सो दढहत्थेहि संडासेणं सुफणि धरइ । पउमा सीयकाले चुल्लीए नीरं उण्हं करेइ । अहं गयवरिसस्स विवायं विसमरीअ । काहिल्लिआ उण्हा अत्थि । चुण्णमद्दणीए चुण्णं कहं नत्थि ? डोऔ सयं किमवि न खाअइ । हंडिआइ कस्स तीमणं अत्थि ? मीणक्खी संदंसेण इंगारं गिण्हइ । अज्जत्ता पुरिसा णयरे कल्लवत्तं सरावम्मि करेंति । सा चिल्लेण गोहमं सोहइ । प्राकृत में अनुवाद करो
__रसोइया किस ग्राम का है ? रसोइघर में बैठकर कौन खाता है ? चूल्हे में लकडी किसने दी? पिछले चूल्हे में रखा हुआ दूध ठंडा नहीं होता। तमेली में आज क्या पकाया है ? चमचियां कितनी हैं ? हांडी का मूल्य क्या है ? कटोरे में दही है। वह थाली में खाना नहीं खाता । कुर्ची स्वयं नहीं खाती। तमेली को ढकना मत भूलो। चिमटे से तवे को पकडो । हांडी पर कुर्ची क्यों रखी है ? तरकारी कितनी शेष रही है ? कटोरे में दही रखा हुआ है। तवा गरम हो गया है। वह उपकार को भूल जाता है । बहन तरकारी परोसती है। बहू कुर्ची से दाल परोसती है। सुरेश चुगली करता है । मैं सुबह जल्दी उठता हूं। तुम्हें स्वयं उठना चाहिए। जिस प्रकार से तुम कहते हो वह ठीक नहीं है। जब तक तुम स्वयं नहीं आओगे तब तक मैं तुम्हारे घर नहीं जाऊंगा । कठौती में पानी अधिक है । पहले डोया खाता है । हंडिया मिट्टी (मट्टिआ) की है । संडासी अच्छी तरह (सुठ्ठ) पकडती है । प्लेट में सीता कलेवा नहीं करती है । विमला छाज से धान्य को साफ करती है ।
प्रश्न १ संधि विच्छेद करो और बताओ कि किस नियम से यह रूप बना---
लोहारो, कलालो (कलवारः), तइओ, कुंभआरो, सिरोविअणा, आउज्जं (आतोद्यं) वइआलिओ (वैतालिक:) चइत्तो (चैत्रः) दरिअ (दप्तः) रिऊ (ऋतुः) पिउवणं, मयंको (मृगाङ कः) गरुओ। २ रसोईघर, कठौती, संडासी चूल्हा, तमेली, चमची, कटोरा, कुर्ची, हांडी,
प्लेट, डोया, थाली, छाज, चिमटा और साग-इनके प्राकृत शब्द बताओ। ३ भूलना, परोसना, निकालना, चुगली करना, उठना-इन अर्थों में
कौनसी धातु प्रयुक्त हुई है लिखो ? ४ जहेव, ताव, सयं, जत्थ-इन अव्ययों को प्रयोग करो । प्रत्येक के दो-दो
वाक्य बनाओ। ५ उद्वत्तस्वर किसे कहते हैं ? उसके लिए संधि का क्या विधान है ? ६ उद्वत्तस्वर के साथ संधि के नियम का अपवाद नियम क्या है ? __ प्रत्येक के दो-दो उदाहरण दो। ७. पुल्लिंग के ज, त और क शब्द के रूप लिखो।
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