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________________ उद्वत्त स्वर संधि निशाकरः निसा+अरो=निसाअरो निशाचरः निसा+अरो-निसाअरो रजनीकरः रयणी+अरोरयणीअरो गंधपुटी गंध+उडी+गंधउडी रजनीचर: रयणी+अरो=रयणीअरो वराकाः वरा+आवराआ कृतोपकारः क- ओव+आरो+कओवआरो (पिशम प्राकृत० पैरा १५७, १५६ के अनुसार) अपवादअवर्ण+ अवर्ण (उवृत्त स्वर) =आ कुम्भकार:----कुम्भ+आरो=कुंभारो उद्धावति:-उद्धा+अइउद्धाइ शातवाहन:-साल+आहणो सालाहणो चक्रवाक:-चक्क+आओ=चक्काओ इवर्ण-+इवर्ण (उदवृत स्वर) =ई द्वितीय:-बि+इओबीओ शिविका-सि-+ इया=सीया उवर्ण ---उवर्ण (उद्वत्त स्वर) ऊ उदुम्बरः-उ+ उम्बरो-उम्बरो (संयोग परे होने से उ ह्रस्व हो गया) अवर्ण+इवर्ण (उद्वृत्त स्वर) =ए स्थविरः-थ+इरो थेरो मतिधर:--म-इहरो-मेहरो अवर्ण+ उवर्ण (उद्वत्त स्वर) =ओ मयूर:-म+ऊरो मोरो चतुर्दशी-च-उद्दसी चोदसी अवर्ण (प्रथम पद का अंतिम उद्वत्त स्वर)+असवर्ण स्वर (द्वितीय पद का पहला उद्वत्त स्वर)=प्रथम पद के अंतिम उद्वत्त स्वर का लोप राजकुलम्-राअ+उलं-राउलं प्रयोग वाक्य __पाचओ अन्नं पाचइ । महाणसे सीयं नत्थि । विमला सुफणीए दुद्ध उण्हं करेइ । मोहणो थालिआइ भोयणं भुंजइ । उवचुल्ले किं रक्खियं अस्थि । चुल्लीअ उण्हं जलं किणा रक्खि ? दव्वीए सुफणीअ तीमणं वट्टइ । कडुच्छअस्स बहु उवओगो अत्थि परं कडाहस्स पइदिणं न । अहं कट्टोरगम्मि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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