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( वै. प्र. ३ | १ | १२३ ) नमसा-मनसा
ऋ. पू. ४८.६
कर्तुः तर्कः ( निरुक्त पृ. १०१ - १३ )
(३०) हेत्वर्थ कृदन्त के प्रत्यय में समानता
वैदिक
कर्तुम्—कर्तवे
( वैदिक प्रक्रिया ३ | ४१६ ) वैदिक प्रक्रिया सूत्र में 'से', 'सेन' और अ से प्रत्ययों का विधान तुम् के स्थान में किया गया है । इस नियम से इ धातु का 'एसे' (एतुम्) रूप होगा
(३१) क - क्रियापद के प्रत्ययों में समानता
वैदिक
प्रथम पुरुष, बहुवचन दुह, + रे दुह्र
( वैदिक प्रक्रिया ७१ १८ )
ख -- आज्ञार्थक सूचक इ प्रत्यय
वैदिक
बोध् + इ—बोधि
प्राकृत वाक्यरचना बोध
अचलपुरं - अलचपुरं ( २।११८ ) वाराणसी-वाणारसी
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(२।११६)
महाराष्ट्र – मरहट्ठ (२।११९ )
प्राकृत
कत्तवे, कातवे, कस्तिए गणे, दक्खिताये नेतवे, निधातवे
प्राकृत
प्रथम पुरुष के बहुवचन में रे और इरे प्रत्यय का भी व्यवहार होता है । गच्छ— गच्छरे, गच्छिरे
(हे. प्रा. व्या. ३।१४२ )
प्राकृत
बोध् + इ -- बोधि, बोहि सुमर् + इ = सुमरि ( हेम. प्रा. व्या. ४१३७ )
(३२) संज्ञा शब्दों के रूपों में प्रत्ययों की समानता
वैदिक
देवेभिः (वं. प्र. ७|१|१० ) पतिना ( वै. प्र. १/४ | )
प्राकृत
देवेभि - देवे हि पतिना
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