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स्वर संधि (करिष्यति), बिइओ, बीओ (द्वितीयः) थइरो, थेरो (स्थविरः), कुम्भ+ मारो=कुम्भारो कुम्भआरो (कुम्भकारः), चक्क+आओ चक्काओ, चक्कआओ (चक्रवाकः)।
नियम ४ (पवयोः संधिळ ११५)-संस्कृत में दो पदों की जो संधि होती है वह प्राकृत में विकल्प से होती है। विसम+आयवो-विसमायवो, विसम-आयवो । दहीसरो, दहि-ईसरो।
सवर्ण स्वर (पिशल प्राकृत व्याकरण पैरा १४८ के अनुसार) १. अवर्ण+अवर्ण =आ
(अ-|-अ-आ, अ+आ आ, आ+अ=आ, आ-+आ-आ) देवाधिपाः-देव+अहिवा-देवाहिवा जीवाजीव-जीव+अजीवो जीवाजीवो विषमातप:-विषम+आयवो=विसमायवो यमुनाधिपतिः---जउणा+अहिवईजउणाहिवई
गंगातप:-गंगा+आयवो-गंगायवो २. इवर्ण+इवर्ण-ई
(इ.+इ=ई, इ+ई =ई, ई+इ=ई, ई+ईई) मुनीतरः-मुणि+इअरो=मुणीअरो दहीश्वर:-दहि+ईसरो=दहीसरो पृथ्वी ऋषि:-पुहवी+ इसी=पुहवीसी रजनीश:--रयणी+ईसोरयणीसो ३. उवर्ण+उवर्ण
(उ+उऊ, उ+ऊऊ, ऊ+उ=ऊ, ऊ+ऊ=ऊ) स्वादूदकम्-साउ+उअयं साऊअयं । भानूपाध्यायः-भाणु --उवज्झायो- भाणू वज्झायो बधूदकम्--बहू+ उअयं-बहूअयं बहुच्छ्वासः-बहू+ऊसासोबहूसासो
असवर्ण स्वर (पिशल प्राकृत व्याकरण परा १४६) अवर्ण+इवर्ण (असंयुक्त व्यंजन के पूर्व) ए . व्यासपिः-वास+इसी=वासेसी । दिनेश:-दिण+ईसो दिणेसो चन्दनेतर:-चंदणा+ इअरो=चंदणेअरो रमेश:-रमा+ईसो= रमेसो
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