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परिशिष्ट ५
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दही की मलाई-दहित्यारो (दै०) दूध-खीरं, पयो, दुद्धं, अलिआरं ।
पुण्य-पुण्णं प्रमाद--पमायो, पमत्तो मन-मणं, मणो राग--रागो वीतराग-वीयराओ श्रावक-सावगो, समणोवासगो श्राविका-साविया, साहुणी,
समणो, वासिया, उवासिया संथारा-अणसणं समाधि-समाही (पुं) सर्वज्ञ-सव्वण्णू साधु-समणो, साहू साध्वी-समणी, स्वाध्याय-सज्झायो
जलाशय वर्ग (पाठ ३५) कुंआ-कूवो, अगडो, अवडो
दूध की मलाई--करघायलो नवनीत-णवणीयं, दहिउप्फ (दे०) मट्ठा-घोलं (दे०) मावा-किलाडो, कूचिआ रायता-दाहि (सं) श्रीखंड-हिंडओ (दे०) _ ग्रह नक्षत्र वर्ग (पाठ ६६) केतु-केऊ (पुं) ग्रह-गहो चंद्रमा-चंदो, हिमयरो तारा--तारा नक्षत्र–णक्खत्तं बुध-बुहो बृहस्पति-बहस्सई (पुं०) मंगल-अंगारयो राहु-राहू (पुं) शनि-सणी (j) शुक्र-सुक्को सूर्य--आइच्चो, दिणअरो
जैन पारिभाषिक (पाठ २७,२८) आचार्य-आयरिओ आत्मा--अप्पा आसक्ति-आसत्ती (स्त्री) कर्म-कम्म चतुर्मास-चाउमासो तप-तवो, तवं द्वेष--दोसो ध्यान--झाणं पाप-पावो
छोटा कुंआ-कूविया छोटा प्रवाह--ओग्गलो टंकी---जलसंगहालयो (सं) तालाब-तडाओ, तलायो, सरं नदी-नई नल-णलं नहर-कुल्ला निर्झर-अवज्झरो, ओझरो पुष्करिणी-पोक्खरिणी प्याऊ-पवा बांध-बंधो (सं) बावडी--वावी समुद्र-समुद्दो, सायरो ___ धातु उपधातु वर्ग (पाठ ८२) अभ्रक-अब्भपडलं (दे०) कलइ–सरययरंगचुण्णं (सं)
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