________________
११८
अपनश (६)
शब्द संग्रह घर(पुं).-मकान
ससा (स्त्री)-बहिन पिआमह (पुं)-दादा
कहा (स्त्री)-कथा मारूअ(पुं)-पवन
सद्धा (स्त्री)-श्रद्धा बप्प (पुं)-पिता
सासू (स्त्री)--सासू सरिआ (स्त्री)-नदी
बहू (स्त्री)-बहू भुक्खा (स्त्री)-भूख
आगि (स्त्री)-आग णिहा (स्त्री)-नींद
णारी (स्त्री)-नारी तण्हा (स्त्री)-तृष्णा
लच्छी (स्त्री)-लक्ष्मी
धातु संग्रह उट्ठ-उठना
नस्स-नष्ट होना पड-गिरना
पसर-फैलना रुव-रोना
जल-जलना खेल-खेलना
खुम्म-भूख लगना बिह-डरना
उतर-उतरना, नीचे आना पणम--प्रणाम करना
पाल-पालना खा-खाना
चर-चरना ० आय, अवस्, कवण शब्दों को याद करो। देखो परिशिष्ट ३ संख्या
२०,२१,२२। उच्चारणलाघव
नियम १०८६ (कादि-स्थेदोतोरुच्चार-लाघवम् ४१४१०) अपभ्रंश में क आदि वर्गों में ए और ओ का प्रायः उच्चारण-लाधव होता है । सुखेन चिन्त्यते मानः, (सुं चितिज्जइ माणु) तस्य अहं कलियुगे दुर्लभस्य (तसु हउं कलिजुगि दुल्लहहों)।
नियम १०६० (पदान्ते उ-हुं-हि-हंकाराणाम् ४।४११) अपभ्रंश में पदान्त में उ, हुं, हिं, हं का उच्चारणलाघव होता है। तिबन्त
नियम १०६१ (त्यादेराबत्रयस्य संबंधिनो बहुत्वे हि न वा ४॥३८२) भपभ्रंश में त्यादि के पहले त्रिक के बहुवचन को हिं आदेश विकल्प से होता है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org