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अपभ्रंश (५) प्रयोग वाक्य (तुम् प्रत्यय)
हर जग्गेवं सयां (मैं जागने के लिए सोता हूं)। हर जग्गण सयेस। (मैं जागने के लिए सोऊंगा)। हउ जग्गणहिं सयिअ (मैं जागने के लिए सोया। हर जग्गणहं सयमु (मैं जागने के लिए सोऊं)। सो जग्गेप्पि सयइ (वह जागने के लिए सोता है। सो जग्गेप्पिणु सयउ (वह जागने के लिए सोए) । सो जग्गेवि सयेहिइ (वह जागने के लिए सोएगा) । सो जग्गेविणु सयिअ (वह जागने के लिए सोया) । तुहुं णच्चेवं उदहि । तुहं कोकण उट्ठसु । तुहं णच्चणहं उठेसहि। हां बोल्लणहि उट्टिउ। सा लुक्केवि उ?सइ । सा णच्चेविणु उद्विआओ । सो णच्चिण उवविसइ । तुहुं खासणहं दहि भुंजहि । हउ जीवेप्पि खीर पिवउ । अम्हे लिहेव पढहुं । ते लक्कुड कट्टेवं घूमसि । अपच श में अनुवाद करो (क्त्वा प्रत्यय का प्रयोग करो)
वह वस्त्र धोकर सोता है । तुम घी डालकर कहां जाते हो ? वह पुत्री को मारकर भागता है। तुम कहकर भूलते हो। वह छूकर वस्तु को जानता है। वे स्तुति कर मांगेगे । तुम पुस्तक चुराकर पढते हो। मैं सेवा कर सीखता हूं। वे पढकर वर्णन करेंगे । वह तुमको कहकर नाचेगा। वे स्तुति कर निंदा करते हैं। सीता धान्य कूटकर पीसती है। तुम यादकर भूलते हो। साधु गवेषणा कर खाता है। वह खाकर पीता है । तुम पीकर खाते हो। वह रुष्ट होकर सोता है। अपभ्रश में अनुवाद करो (तुम् प्रत्यय का प्रयोग करो)
वह मांगने के लिए जाता है। वह ज्ञान सीखने के लिए सेवा करता है । तुम याद करने के लिए सुनते हो। वे मारने के लिए भागते हैं। तुम देने के लिए मांगते हो। वे खाने के लिए जाते हैं। वह कूदने के लिए दौडता है। वह जीने के लिए सांस लेती है। उसे खाने के लिए भूख लगती है। वह थकने के लिए दौडता है । तुम लिखने के लिए सुनते हो। वह वस्त्र धोने के लिए मांगता है । मैं स्तुति करने से डरता हूं। बालक नहाने के लिए छिपता है। यह नाचने के लिए जागती है । तुम जागने के लिए सोते हो।
प्रश्न १. स्वार्थ में किस शब्द से क्या प्रत्यय होता है ? २. ईय, अतु, त्र और त्व प्रत्ययों को अपभ्रंश में क्या आदेश होते हैं ? ३. जेत्तुलो, तेत्तुलो, तामहिं, जइसो, जेहु-इन शब्दों का वाक्य में प्रयोग
करो। ४. कवि, साधु, गुरु, बंद, प्राणी, सूर्य, स्वामी, दही, पदार्थ, आंख, भक्ति, - गर्व, माता, स्त्री-इन शब्दों के लिए अपभ्रंश के शब्द बताओ। ५. दा, मग्ग, सेव, कर, जेम, थुण, सीख, गरह, सुण, भुल, कह, मार,
सुमर, चोर, गच्छ, वण्ण धातु के अर्थ बताओ।
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