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प्राकृत वाक्यरचना बोध नियम १०८७ (वा यत्तदोऽतोवंडः ४४०७) अपभ्रंश में यत् और तत् शब्द अतु प्रत्ययान्त (यावत्, तावत्) के वत् अवयव को डेवड आदेश विकल्प से होता है । यावत् (जेवडु, जेत्तुलो)। तावत् (तेवडु, तेत्तुलो)।
नियम १०८८ (वेदं किमोदिः ४।४०८) अपभ्रंश में इदं और किं शब्द अनुप्रत्ययान्त (इयत्, कियत्) के यत् अवयव को डेवड आदेश विकल्प से होता है । इयत् (एवडु, एत्तुलो)। कियत् (केवडु, केत्तुलो)। संबंधभूत कृदन्त (क्त्वा प्रत्यय) पूर्वकालिक क्रिया
धातु के साथ पूर्वकालिक क्रिया (क्त्वा प्रत्यय) जोडने से संबंधभूत कृदन्त के रूप बनते हैं। क्त्वा प्रत्यय का अर्थ है करके । क्त्वा प्रत्ययान्त शब्द अव्यय होता है। यह अर्धक्रिया के रूप में प्रयुक्त होता है। इसके आगे पूर्वकालिक क्रिया होती है, वह किसी भी काल की हो सकती है। अपभ्रंश में क्त्वा प्रत्यय के स्थान पर आठ प्रत्यय होते हैं--इ, इउ, इवि, अवि, एप्पि, एप्पिणु, एवि और एविणु । हस् धातु के इन आठ प्रत्ययों के रूप क्रमशः ये बनते हैं-हसि, हसिउ, हसिवि, हसवि, हसेप्पि, हसेप्पिणु, हसेवि, हसेविणु (हंसकर)। इसी प्रकार अन्य धातु के रूप बनते हैं। हेत्वर्थ कृदन्त (तुम् प्रत्यय)
तुम् प्रत्यय का अर्थ होता है--के लिए। अपभ्रंश में तुम् प्रत्ययान्त शब्द भी अव्यय होते हैं। तुम् प्रत्यय को अपभ्रंश में प्रत्यय आदेश होते हैंएवं, अण, अणहं, अणहिं, एप्पि, एप्पिणु, एवि, एविणु । हस् धातु के तुम् प्रत्ययान्त रूप ये हैं-हसेवं, हसण, हसणहं, हसणहिं, हसेप्पि, हसेप्पिणु, हसेवि, हसेविणु। इसी प्रकार अन्य धातुओं के रूप बनाए जा सकते हैं । शेष चार प्रत्यय क्त्वा और तुम् प्रत्यय के समान हैं, प्रसंग से अर्थ निकाला जाता है। प्रयोग वाक्य (संबंधभूत कृदन्त)
हउहसि जीव (मैं हंसकर जीता हूं) । हउ हसिवि जीवेस (मैं हंसकर जीऊंगा । हउहसिउ जीवमु (मैं हंसकर जीऊं) । हउ हसवि बोल्लिम (मैं हंसकर बोला)। सो हसे प्पि बोल्लइ (वह हंसकर बोलता है)। सो हसेप्पिणु बोल्लउ (वह हंसकर बोले)। सो हसेवि बोल्लेसइ) । (वह हंसकर बोलेगा) । सो हसेविणु बोल्लिआ (वह हंसकर बोला)। तुहुं बोल्लि वइट्टहि । तुहुँ बोल्लिउ इट्टसु । तुहुं बोल्लिवि वइट्ठ सहि । तुहुं बोल्लवि वइट्ठिम । सा भुंजेप्पि सयइ । सा भुंजेप्पिणु सयउ । सा भुंजेवि सयिहिइ । सा मुंजेविणु सयिआ। सो घूमि उवविसइ । तुहुं लिहिउ सयिहिहि । तुहं पढिवि वखाणसु । ते थक्किवि वइति । तुम्हे सयवि जग्गिहित्था बालअ खीर पिवेवि सयई। अम्हे सुणिवि कहइ । तुहं दाइ मग्गइ ।
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