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________________ ४३८ प्राकृत वाक्यरचना बोष योगजाश्चषाम् ४।४३०) के प्रत्यय अ, डड, डुल्ल, डडअ अन्त वाले प्रत्ययान्त शब्दों से डी प्रत्यय होता है । गौरी (गोरडी)। कुटी (कुडुल्ली)। नियम १०७० (आन्तान्ताड्डा ४।४३२) अपभ्रंश में स्त्रीलिंग में वर्तमान आन्त (डड प्रत्यय आदि अ प्रत्ययान्त) उन आन्त प्रत्ययान्त शब्दों से डा प्रत्यय होता है। धूलिः (धूल डिआ)। नियम १०७१ (अस्ये ४।४३३) अपभ्रंश में स्त्रीलिंग में वर्तमान अकार को इकार हो जाता है, आ प्रत्यय परे हो तो । धूलिः (धूलडिआ)। भूतकाल अपभ्रंश में भूतकाल के अर्थ को व्यक्त करने के लिए भूतकालिक कृदन्त का ही प्रयोग किया जाता है। धातु में अ और य प्रत्यय लगाकर भूतकालिक कृदन्त का रूप बनाया जाता है। धातु के अंतिम अकार को इकार हो जाता है और प्रत्यय जुड जाता है । य प्रत्यय अ में बदला जा सकता है। भूतकालिक कृदन्त कर्तृवाच्य में कर्ता के अनुसार चलता है। कर्ता पुंलिंग, स्त्रीलिंग और नपुंसकलिंग तीनों हो सकते हैं। स्त्रीलिंग में प्रयोग करने से पूर्व प्रत्यय के आगे आ प्रत्यय और जुड जाता है । पुंलिंग में भूतकालिक कृदन्त के रूप जिण शब्द की तरह, स्त्रीलिंग में माला शब्द की तरह और नपुंसक लिंग में कमल शब्द की तरह रूप चलते हैं । व्यंजनांत (अकारान्त) और स्वरान्त धातु के रूप इस प्रकार बनते हैं। एकवचन बहुवचन पुंलिंग-हसिअ/हसिआ/हसिओ/हसिउ हसिअ/हसिआ होअ/होआ/होउ/होओ होअ/होआ स्त्रीलिंग-हसिआ/हसि हसिआ/हसिअ हसिआउ/हसिअउ हसिआओ/हसिअओ ठाआ/ठाम ठाआ/ठाअ/ठाआउ/ठाउ/ ठाआओ/ ठाओ नपुंसकलिंग-हसिअ/हसिउ/हसिआ हसिअ/हसिआ/हसिअर्ड होम/होआ/होउ हसआई/होम/होआ/होअइं/ होआई प्रयोग वाक्य (भूतकाल) हउं हसिअ/हसिआ/हसिउ/हसिओ (मैं हंसा)। अम्हे हसिम/हसिआ (हम हंसे)। सा हसिआ/हसिअ (वह हंसी)। ता हसिआ/हसिअ/हसिआउ/ हसिअउ/हसिआओ/हसिअओ (वे हंसी)। तुहुं हसिअ/हसिआ/हसिओ/हसिउं (तुम हंसा)। तुम्हे हसिअहसिआ (तुम सब हंसे/तुम दोनों हंसे) । सो हसिअ/ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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