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________________ अपभ्रंश (४) नियम १०५७ (टा-यमा पई तई ४।३७०) अपभ्रंश में युष्मद् शब्द को टा, ङि और अम् प्रत्यय सहित पई और तई आदेश होते हैं । त्वया (पई, तइं)। त्वयि (पइं, तइं)। त्वाम् (पई, तइं)। नियम १०५८ (भिसा तुम्हेहिं ४।३७१) अपभ्रंश में भिस् प्रत्यय सहित युष्मद् शब्द को तुम्हेहिं आदेश होता है । युष्माभिः (तुम्हेहिं)। नियम १०५६ (सि-सभ्यां तउ-सुज्झ-तुध्र ४।३७२) अपभ्रंश में ङसि और ङस् प्रत्यय सहित युष्मद् शब्द को तउ, तुज्झ और तुध्र आदेश होते हैं । त्वत् (तउ, तुज्झ, तुध्र)। तव (तउ, तुज्झ, तुध्र)। __ नियम १०६० (म्यसाम्भ्यां तुम्हहं ४१३७३) अपभ्रंश में भ्यस् और आम् प्रत्यय सहित युष्पद् शब्द को तुम्हह आदेश होता है । युष्मभ्यम् (तुम्हहं)। युष्माकम् (तुम्हहं)। नियम १०६१ (तुम्हासु सुपा ४१३७४) अपभ्रंश में सुप् प्रत्यय सहित युष्मद् शब्द को तुम्हासु आदेश होता है । युष्मासु (तुम्हासु)। नियम १०६२ (सावस्मदो हउं ४।३७५) अपभ्रंश में सि प्रत्यय सहित अस्मद् शब्द को हउ आदेश होता है । अहम् (ह)। नियम १०६३ (जस्-शसो रम्हे अम्हई ४।३७६) अपभ्रंश में जस् और शस् प्रत्यय सहित अस्मद् शब्द को अम्हे और अम्हइं आदेश होते हैं । वयम् (अम्हे, अम्हइं)। अस्मान् (अम्हे, अम्हइं)। नियम १०६४ (टा-ज्यमा मई ४।३७७) अपभ्रंश में टा, डि और अम् प्रत्यय सहित अस्मद् शब्द को मई आदेश होता है । मया (मई)। मयि (मई) । माम् (मई)। नियम १०६५ (अम्हेहि भिसा ४॥३७८) अपभ्रंश में भिस् प्रत्यय सहित अस्मद् शब्द को अम्हेहिं आदेश होता है । अस्माभिः (अम्हेहिं) । नियम १०६६ (महु मज्झ कसि-उस भ्याम् ४१३७६) अपभ्रंश में उति और ङस् प्रत्यय सहित अस्मद् शब्द को महु और मज्झु आदेश होते हैं। मत् (महु, मज्झु)। मम (महु, मज्झु)। नियम १०६७ (अम्हहं भ्यसाम्भ्याम् ४१३८०) अपभ्रंश में भ्यस् और आम् प्रत्यय सहित अस्मद् शब्द को अम्हहं आदेश होता है। अस्मभ्यम् (अम्हहं)। अस्माकम् (अम्हहं)। नियम १०६८ (सुपा अम्हासु ४३३८१) अपभ्रंश में सुप् प्रत्यय सहित अस्मद् शब्द को अम्हासु आदेश होता है । अस्मासु (अम्हासु)। स्त्री प्रत्यय नियम १०६६ (स्त्रियां तदन्ताड्डी ४।४३१) अपभ्रंश में स्त्रीलिंग में वर्तमान प्राक्तन सूत्रद्वय (अ-डड-डुल्ला: स्वार्थिक-क-लुक् च ४।४२६ और Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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