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अपभ्रंश (३)
४३५ अपशभ्रमें अनुवाद करो
वह शरमाएगी। हम सब कदेंगे। वे दोनों बैठेंगे। वह उछलेगा। हम नहीं थकेंगे। मैं नहीं मरूंगा। तुम दोनों कहां धूमोगे ? वे सब नहीं सोएंगे । मैं नहीं डरूंगा । तुम सत्य नहीं बोलोगे । वह वस्त्र नहीं काटेगी। वह चुपडेगी। तुम कहां व्याख्यान करोगे? तुम्हें कौन रोकेगा ? मुझे कोन बुलाएगा? मैं काष्ठ नहीं छीलूंगा। वह घी नहीं डालेगी। तुम आज कहां बैठोगे ? मैं आज बोलंगा। वे दोनों नहीं पीसेंगी। वह वस्त्र फाडेगा। मैं उपकार करूंगा। तुम पत्र नहीं लिखोगे। वह स्नान नहीं करेगी। तुम कहां छिपोगे ? मैं नहीं नाचूंगा । आज वे पत्र लिखेंगे। तुमको कौन बुलाएगा ? मैं सत्य उघाडूंगा। तुम कहां कूदोगे ? वे कहां बैठेगे ? वह आज दूध पीएगा। वह वस्त्र सुखाएगी। मैं नहीं थकूँगा । हम कहां घूमेंगे ? मैं व्याख्यान करूंगा। हम सब कूदेंगे। रिक्तस्थान की पूर्ति करो
(१)..... 'लज्जेसइत्था ।(२)... . 'हसेसहुं । (३) ....' बोल्लिाहमु । (४) ....." उग्घाडेस। (५).....'कट्टे सहु। (६)..... उपकरिहिसे । (७) ..... 'चोप्पडेसमु। (८)...... फाडिहिहिं । (६)..... 'वक्खाणिहिसि । (१०)..... रोक्किहिमि । (११)... . घालिसउ । (१२) ..... पीसेसन्ति । (१३) ... बोल्लेसह । (१४)..... लिहिहिए। (१५)... ' फाडिहिह । (१६)..... करेसामि । (१७)....' 'हाहिमु। (१८)... कोकित्था । (१६)... . . बोल्ल। (२०) .....उपकरेमु । (२१)....फाडसि । (२२) .... लिहउ । (२३) ... वइट्ठह । (२४) .....रोक्कमु। (२५)...... घालहुं । (२६) ..... पीसंतु । (२७).... फाडसु । (२८) .... 'उग्घाडए। (२६)... ''छोल्ल । (३०) ..... "कट्टह।।
प्रश्न १. स्त्रीलिंग में ओ, ए, हे, हु, डहे आदेश किन-कन प्रत्ययों को होता है ? २. नपुंसक लिंग में जस् और शस् प्रत्यय को क्या आदेश होता है। ३. नपुंसक में उ आदेश किस प्रत्यय को होता है ? ४. पुंलिंग में ओइ, काई, कवण, एइ, हे आदेश किस को किस प्रत्यय परे
होने पर होता है। ५. लकडी, वस्त्र, नागरिक, यौवन, भोजन, वैराग्य, घी, पत्र, जीवन,
ज्ञान, मरण, सुख-इन शब्द के लिए अपभ्रंश शब्द बताओ। ६. फुल्ल, थक्क, णिज्झर, लुढ, पिव, पीस, उग्घाड, लिह, कट्ट, वक्खाण,
सुक्क धातु के अर्थ बताओ।
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