SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 44
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अपादान शब्द संग्रह (परिवार वर्ग ४) दोहिता--पडिपोत्तयो बेटी-पुत्ती, तणया, दुहिआ, धूया बेटा---पुत्तो, तणयो, सुनू भानजी-भाइणेज्जा, भाइणेया भानजा--भाइणेज्जो, भाइणेयो भतीजी---भाइसुआ भतीजा----भाइसुओ पोती-नत्तुणिया पोता-नत्तुणियो, पोत्तो प्रपोती--पपोती प्रपोता---पपोतो, पडिपुत्तो अविवाहित-अकंडतलिम (दे०) सखी, सहेली--अत्थयारिआ (दे०) मालिक-सामी घर-घरो (दे०) पाप-पावं पत्थर-पाहणो, पत्थरो आधाकर्मदोष से युक्त----आहाकड (वि) धातु संग्रह अस—होना आगच्छ-आना पवह-निकलना अहिजाअ-उत्पन्न होना पराजय-हारना दुगुञ्छ- णा करना पमाय----प्रमाद करना विरम --विराम लेना - अव्यय संग्रह पगे (प्रगे)-प्रातःकाल अहुणा-(अधुना) अभी य, अ, च-और अत्थ--(अत्र) यहां अपरज्जु (अपराध)----दूसरे दिन अहा (यथा)-जिस प्रकार हो धातु के कर्तृवाच्य के सब रूप याद करो : (देखो परिशिष्ट २ संख्या २) आकारान्त, इकरान्त आदि सभी स्वरान्त पातुमों के रूप हो पातु की तरह चलते हैं। अपादान अपाय का अर्थ है-विश्लेष यानी अलग होना। एक का दूसरे से अलग होना अपाय कहलाता है। वह दो प्रकार का होता है (१) शरीर से और (२) बुद्धि से । सुरेश घोडे से गिरता है । पहले सुरेश घोडे के साथ चिपका हुआ था, गिरने से वह घोडे से अलग हो गया। अलग होने की जो अवधि है उसमें पंचमी विभक्ति होती है । बुद्धिपूर्वक विभाग में शरीर से अलग होने की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy