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________________ ४२० प्राकृत वाक्यरचना बोध नियम ९८७ (क्यस्येय्य : ४।३१५) पैशाची में क्य प्रत्यय को इय्य आदेश होता है । दीयते (दिय्यते) । रम्यते (रमिय्यते) । पठ्यते (पठिय्यते)। .. नियम ९८८ (कृगो डोर: ४।३१६) पैशाची में कृ धातु से परे क्य को डीर आदेश होता है । क्रियते (कीरते)।. नियम ६८६ (न कना-च-जादि षट्-शाम्यन्त-सूत्रोक्तम् ४१३२४) पैशाची में (कगचजतद पयवां प्रायो लुक् १।१७७) से लेकर (षट् शमी साव सुधा सप्तपणे वादे श्छः २२६५) तक के सूत्र जो कार्य करते हैं वह पैशाची में नहीं होता है। नियम ६६० (शेषं शौरसेनीवत् ४।३२३) पैशाची में शेष नियमों का कार्य शौरसेनी के समान है। चूलिका पैशाची नियम ६६१ (चलिका-पैशाचिके तृतीय-तुर्ययो राख-द्वितीययो ४१३२५) चूलिकापशाची में वर्ग के तृतीय और चतुर्थ वर्ण को क्रमशः पहला और दूसरा वर्ण हो जाता है । नगरं (नकरं) । मेघः (मेखो) । राजा (राचा)। निर्झरः (निच्छरो) । डमरुकः (टमरुको)। गाढम् (काठं)। मदनः (मतनो) । मधुरम् (मथुरं) । बालकः (पालको)। रभसः (रफसो)। .. नियम ६६२ (नादि-युज्योरन्येषाम् ४।३२७) चूलिकापैशाची में अन्य आचार्यों के मत से वर्ण का तीसरा और चतुर्थवर्ण आदि में हो तो उसे प्रथम और द्वितीय वर्ण नहीं होते हैं। तथा युज धातु को आदेश नहीं होता है। गतिः (गती) । धर्मः (धम्मो) । जीमूतः (जीमूतो) । झज्झरः (झच्छरो)। डमरुक: (डमरुको)। ढक्का (ढक्का)। दामोदरः (दामोतरो)। बालकः (बालको)। भगवती (भकवती)। नियोजितम् (नियोजितं)। .. नियम ६६३ (रस्य लो वा ४।३२६) चूलिका पैशाची में र को ल विकल्प से होता है। हरम् (हलं, हरं)। ... नियम ६६४ (शेष प्रागवत् ४:३२८) चूलिका पैशाची में शेष नियम पैशाची के समान चलते हैं। नकरं, मक्कनो-इनके न को ण नहीं होता। ण का न तो हो जाता है। प्रयोग वाक्य - तत्तो तुम सयगुनो बुद्धिमतो सि। तुझ हितपके केत्तिलो हो अत्थि ? मतनं मारिउ को समत्थो अत्थि ? किं तस्स पुनं पबलं विज्जति ? यातिसो अहं मि तातिसो तुम्हाणं समक्खं मि। पलं अंतरेण तस्स को मुल्लो अत्थि? तुम्ह कुतुम्बकस्स पालणं को करेय्य ? सो सव्वयं महावीरं कि पुच्छइ ? कचाए पण्हो को अत्थि ? घरं गन्तून सा किं पढेय्य ? सो पोत्थयं तळून उत्तरं लिहति। सो केणावि सह न गच्छेय्य । किं सा तुज्झ साउज्ज Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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