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पैशाची : चूलिका पैशाची न्य>-कन्यका (कञका)। अभिमन्युः (अभिमञ्जू)। ण्य7ञ-पुण्याहं (पुजाहं)।
नियम १७८ (यं-सन-ष्ठां रिय-सिन-सटा: क्वचित् १३१४) पैशाची में र्य, स्न और ष्ट के स्थान पर क्रमशः रिय, सिन और सट आदेश कहीं-कहीं होते है। 47 रिय-भार्या (भारिया)। स्न>सिन-स्नातं (सिनातं)। ष्ट 7ड-कष्टं (कसट)। शब्दरूप
नियम ६७६ (अतो उसेडर्डातो डातू ४१३२१) पैशाची में अकार से परे ङसि को डातो (आतो) और डातु (आतु) आदेश होते हैं। त्वद् (तुमातो, तुमातु) । मद् (ममातो, ममातु) ।
नियम ६८० (तदिवमोष्टा नेन स्त्रियां तु नाए ४॥३२२) पैशाची में तद् और इदं को टा प्रत्यय सहित नेन आदेश होता है। स्त्रीलिंग में नाए आदेश होता है । तेन, अनेन, एनेन (नेन) । तया, अनया (नाए)।
नियम ९८१ (यावृशादेई स्तिः ४।३१७) पैशाची में यादृश जैसे शब्दों के दृ को ति आदेश होता है। यादृशः (यातिसो) । तादृशः (तातिसो) । अन्यादृशः (अज्ञातिसो) । धातु रूप
नियम ६८२ (इचेचः ४॥३१८) पैशाची में इच् (इ) एच् (ए) को ति आदेश होता है । भवति (भोति) । नयति (नेति)।
नियम ९८३ (आत्तश्च ४।३१९) पैशाची में अकार से परे इ और ए को ते तथा चकार से ति आदेश होता है। रमति (रमति, रमते)। लपति (लपति, लपते)। आस्ते (अच्छति, अच्छते)। गच्छति (गच्छति, गच्छते) ।
नियम ९८४ (भविष्यत्येय्य एव ४।३२०) पैशाची में भविष्यकाल की इ और ए परे हो तो उनको एथ्य ही होता है। स्सि नहीं । भविष्यति (हुवेय्य)। कृदन्त प्रत्यय
नियम ६८५ (क्त्वस्तूनः ४१३१२) पैशाची में क्त्वा प्रत्यय को तून आदेश होता है। स्वा7 तून-गत्वा (गन्तून)। हसित्वा (हसितून)। पठित्वा (पठितून)। कथित्वा
(कधितून)।
नियम ६८६ (दू न-स्थूनी ष्ट्वः ४१३१३) पैशाची में ष्ट्वा रूप को खून और त्थून होते हैं। दृष्ट्वा (तद्धन, तत्थून)। नष्ट्वा (नद्धन, तत्थून)।
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