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मागधी भाषा
० प्राकृत में जो उपसर्ग हैं वे ही मागधी में हैं। मागधी के नियमों के
अनुसार अक्षर परिवर्तन कर लेना चाहिए। नियम ६५४ के अनुसार र को ल और स को श होता है। परि=पलि, परा=पला, सं-शं
आदि । • नियम ६५३ से ज को य और नियम ९५५ से छ को श्च होता है। इन नियमों के अनुसार शब्द परिवर्तन इस प्रकार होता हैअरिहंत अलिहंत । जिण=यिण । पुच्छ पुश्च । पिच्छ-पिश्च । सर्वशव्व । वीरवोल । महावीर-महावील आदि । मागधी में अकारान्त पुंलिंग शब्द के रूप प्राकृत की तरह चलते हैं किन्तु मागधी में कुछ विशेष परिवर्तन होता है। प्रथमा के एकवचन में वीरो का वीले बनता है, वीलो नहीं । पंचमी के एकवचन का वीर
शब्द का वीलादो और वीलादु बनता है । ० षष्ठी के एक वचन का वीलाह, वीलश्श (वीरस्य) बनता है। ० षष्ठी के बहुवचन का वीलाहं, वीलाणं (वीराणाम्) बनता है। ० मागधी में क्त्वा प्रत्यय को दाणि होता है। कृत्वा--करिदाणि, ___ सोढ्वा-शहिदाणि। • मागधी में क्त प्रत्ययान्त शब्द के प्रथमा के एकवचन (सि) प्रत्यय
को उ होता है । हसिदु, हसिदे (हसितः) पढिदु (पठितः) • मागधी में धातु रूप में भी शाब्दिक परिवर्तन होता है। क्रियातिपत्ति में हो धातु के रूप-होन्दो (पुं) होन्दी (स्त्री) होन्दं (नपुं) इसी प्रकार अन्य धातुओं के बनते हैं ।
भण् धातु के भविष्यकाल के रूप . एकवचन
बहुवचन प्र० पु० भणिश्शदि, भणिश्शदे भणिश्शिंति, भणिश्शिंते, भणिश्शिइरे म० पु० भणिशिशि, भणिश्शिशे भणिश्शिह, भणिश्शिध, भणिस्सिइत्था उ० पु० भणिशं, भणिश्शिमि भणिश्शिमो, भणिश्शिमु, भणिश्शिम सरल (असंयुक्त) व्यंजन
नियम ६५३ (ज-ध-यां यः ४।२६२) मागधी में ज, द्य और य को य आदेश होता है।
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