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प्राकृत वाक्यरचना बोध वााए पच्चाचक्खिदो (वह वाणी से प्रत्याख्यात (अस्वीकृत) करें। (१२) हिमएण अणुबन्धीअमाणो गच्छीअदि (हृदय से अनुसरण किया जा रहा है)। (१३) दक्खिणाए रूवगा भविस्संदि (दक्षिणा में रुपए होंगे)। (१३) सो एव्य दाणिं गच्छदि (वही इस समय जाता है)। (१४) भवं अप्पेणावि तुस्सदि (आप थोडे से ही संतुष्ट हो जाते हैं)। (१६) ता अहं इदो य्येव आअच्छदि (मैं यहां ही आ रहा हूं)। (१५) कव्वं जेव दे कइत्तणं पिसुणेदि (काव्य ही तुम्हारे कवित्व को बता रहा है)। (१६) आवेअक्खलिदाए गईए पब्भट्ठ मे हत्थादो पुप्फभायणं (आवेग से स्खलित गति के कारण मेरे हाथ से पुष्पों का वर्तन गिर गया)। शौरसेनी में अनुवाद करो
इस घर में मेरा कौन है ? इस समय आर्य पुत्र कहां मिलेंगे ?भगवान के पास क्या मांगते हो ? भगवान सबको देखते हैं। आप क्या करेंगे, मेरे भगवान आप ही हैं । मेतार्य क्या कहेगा? आप यहां कैसे आएंगे? आपने मेरा कार्य किया (कयवं)। राजपथ पर सब चलते हैं। वह रात्रि में निश्चित हो सुख की नींद सोता है। वह गुरु के आगे क्यों चलता है ? क्या आप संतुष्ट हैं ? अनाथ कौन नहीं है ? शकुन्तला ब्रह्मचर्य का सेवन करती है। लता विकथा नहीं करती है। प्रभा प्रभात में प्रभु के प्रवचन को पढ़ती है। तुम्हें सत्य कथा कहनी चाहिए (भणिदव्वं)। अच्छा (होदु) इन (एदाणं) लोगों का कार्य कौन करेगा ? वहां जाकर मैं बात पूछूगा । पुस्तक पढकर मैं उत्तर दूंगा । वीर से कौन नहीं डरता है ?
प्रश्न १. शौरसेनी में त और थ को किस नियम से क्या आदेश कहां
होता है ? २. र्य को ज्ज होता है या और कुछ आदेश होता है, किस नियम से ? ३. शौरसेनी में मकार को णकार कहां होता है ? ४. अकारान्त शब्द से सि प्रत्यय परे होने पर क्या रूप बनता है ? ५. शौरसेनी में इदानीं, एव, विस्मय और ननु अर्थ में क्या अव्यय हैं ? ६. हीही, अम्महे अव्यय किस अर्थ में प्रयोग में आते हैं ? एक-एक वाक्य . बनाओ।
७. क्त्वा प्रत्यय को क्या-क्या आदेश होता है ? ... ८. भविष्य अर्थ में क्या प्रत्यय होता है ?
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