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प्राकृत वाक्यरचना बोध
गायंतं पणच्चमाणं तं च विकयरूवं परिभंमंतं दट्ठूण जो पओसइ उवहसइ पर्वचेइ वा तस्स सत्तहा सिरं फुट्टइ । जो पुण तं सुहाहि वायाहि अहिनंदइ धूवपुप्फाइएहिं पूएइ सो सव्वामयाणं मुच्चइ । राया भणइ –– अलाहि एएणं वि । इओ भगइ - ममावि एवं विहं चेव नाइवेसकरं भूयमत्थि, पियापियकारिं दंसणाओ एव रोगेहितो मोयइ । एवं होउ त्ति । तेण तहा कए असिवं उवसंतं । तुट्टो राया । आनंदिया नायरया । पूइओ सो भूयवाई सव्वेहि पि । प्राकृत में अनुवाद करो
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ग्रीष्म ऋतु में एक दिन एक यात्री जंगल से होकर जा रहा था। जब अपराह्न काल हुआ तब उसे प्यास लग गई। सभी जलाशय और नदियां सूख गई थीं । उसे अपनी प्यास बुझाने के लिए कहीं भी पानी नहीं मिला । अंत में वह नारियल के वृक्ष के नीचे आया । वृक्ष पर कोमल नारियल लगे थे । वृक्ष लम्बे होने के कारण वह नारियल के फल तक नहीं जा सकता था । वृक्ष पर अनेक बंदरों को बैठा हुआ देखकर उस चतुर यात्री ने एक उपाय सोचा । उसने भूमि पर से कुछ पत्थरों को लेकर लगातार बंदरों पर फेंका। बंदर भी नारियल फल को तोडकर यात्री को मारने लगे । उसने उन नारियलों को बडे आनंद से संगृहीत कर लिया। उनके मधुर जल से अपनी प्यास बुझा कर वह अपने पथ पर चल दिया । सहजबुद्धि मनुष्य का परम साथी है ।
प्रश्न
११. नीचे लिखे रूपों में बताओ धातु के किस वर्ण को किस नियम से क्या आदेश हुआ है ? जच्छ, गिज्झ, सिज्झ, रुम्भ, रुज्झ, सड, पड, वेढ, संवेल्ल, उब्वेल्ल, खिज्ज, वच्च मच्च, उब्विव ।
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२. असिव, अलाहि, चिप्पिड, जत्ती, नायरया - इन शब्दों के अर्थ बताओ और वाक्य में प्रयोग करो ।
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