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धातुवर्णादेश (१)
शब्द संग्रह असिवं-मारी रोग
उवद्दवं-उपद्रव भूयवाइय- भूतवादिक
निहालेयव्वं-देखना चाहिए अलाहि-अलं, वस
चिप्पिड-चिपटे नाक वाला आमय-रोग
नायरया-नगर जन पिवासा-- प्यास
नियम ९०० (गमिष्यमासां छः ४१२१५) गम्, इष्, यम् और आस् धातुओं के अंत को छ होता है। गच्छइ, इच्छइ, जच्छइ, अच्छइ ।
नियम ९०१ (छिदि-भिवो न्यः ४।२१६) छिद् और भिद् के अन्त्य को न्द आदेश होता है। 7न्द-छिद्=छिन्द । भिद्=भिन्द ।
__ नियम ६०२ (युध-बुध-गृध-क्रुध-सिध-मुहां ज्झः ४।२१७) युध्, बुध्, गध, क्रुध, सिध् और मुह धातुओं के अन्त को ज्झ होता है। 57 झ-युध =जुज्झ । बुध-बुज्झ । गृध् = गिज्झ । क्रुध्=कुज्झ । सिध्=
सिज्झ । ह.>भ-मुह = मुज्झ ।
नियम १०३ (रुषो न्ष म्भौ च ४।२१८) रुध् के अन्त्य वर्ण को न्ध, म्भ और ज्झ होता है। 7न्ध, मम-रुध्रु न्धइ, रुम्भइ, रुज्झइ।
नियम ६०४ (सद-पतोर्ड: ४।२१९) सद् और पत् धातु के अन्त्य को ड होता है। द, त्73-सद्=सडइ । पत्=पडइ ।
नियम ६०५ (क्वथ-वर्षा ढः ४१२२०) क्वथ् और वर्ध धातु के अन्त्य को ढ होता है। थ, 475 - क्वथ्=कढइ । वर्ध =वड्ढइ ।
नियम ६०६ (वेष्ट: ४।२२१) वेष्ट वेष्टने धातु के (नियम ३६४ क ग ट ड २१७७) से ष् का लोप होने के बाद अन्त्य ट को ढ होता है। > -वेष्ट्=वेढइ।
नियम ६०७ (समो ल्लः ४।२२२) सं पूर्वक वेष्ट धातु को ल्ल
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