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धात्वादेश (८)
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वह मुश्किल से अपने परिवार का भार खींचता है। क्षत्रिय म्यान से तलवार को किसलिए खींचता है ? साधु घर-घर में जाकर शुद्ध आहार को खोजता है। शीत से बचाने के लिए माता बच्चे का आलिंगन करती है। रोगी तेल से अपने शरीर को चोपडता है। तुम मुझ से क्या चाहते हो ? प्रतिदिन में तुम्हारी प्रतीक्षा करता हूं। साधु अपने पात्र को पतला करता है। प्रति वर्ष वह विकास करता है । बात कहने से पूर्व वह क्यों हंसता है ? पहाड से बर्फ नीचे गिरती है। कठोर अनुशासन से सब डरते हैं। कौन वस्तु तुम मेरे लिए स्थापना करते हो ? बालक' क्रोध से पुस्तक को फेंकता है। उसने उच्छ्वास लिया पर निःश्वास नहीं लिया। शिष्य गुरु के पास रहकर उल्लास पाता है । उसके शरीर पर धुले हुए श्वेत वस्त्र अधिक शोभते हैं। सांप चूहे को निगल जाता है। उसने २५ वर्षों तक सूत्रों का अवगाहन किया। वह क्रमशः ऊपर चढता है । तुम किस रूप पर मुग्ध हुए हो ? प्राकृत में अनुवाद करो
एक वृद्ध मनुष्य अपने उद्यान में आम्र वृक्षों के रोपने में अत्यन्त परिश्रम कर रहा था। एक युवक मनुष्य ने उन्हें देखकर हंसी उडाई और कहा-आपके ये प्रयत्न अत्यन्त निरर्थक हैं। आप अत्यन्त वृद्ध हैं और इन वृक्षों के फलों का स्वाद लेने के लिए आप जीवित नहीं रहेंगे। वृद्ध मनुष्य ने शांतिपूर्वक अपनी आंखें उठायीं और युवक पुरुष की ओर देखते हुए कहाप्यारे बच्चे ! तुमने अच्छा प्रश्न किया है। मेरे जन्म लेने के पूर्व ही किसी ने इन विशाल वृक्षों को उद्यान में रोपा था और मैं उनके मधुर फलों को खा रहा हूं। अब मैं इन वृक्षों को रोपता हूं ताकि तुम्हारे जैसे नवयुवक लोग मेरी मृत्यु के बाद फल खा सकें । यह उत्तर सुनकर वह लडका लज्जित हुआ और उसने वृद्ध मनुष्य के अच्छे विचारों की प्रशंसा की।
प्रश्न
१. पव्वइयो, विस्सामंपओसो, बहुस्सुओ, उवसप्पंत, अणालोइय, अक्खित्त, __ पलोइंत, अब्भास--इन शब्दों का अर्थ बताओ। २. फास, फंस, रिअ, पम्हुस, पम्हुस, णिरिणास, चड्ड, भुक्क, साअड्ढ, 'अणच्छ, घत्त, ढुण्ढुल्ल, अवयास, चोप्पड, अहिलङ्ख, मह, सामय, रम्प, गुञ्ज, ल्हस, डर, बोज्ज, णुम, पलोट्ट, झङ्ख, ऊसल, पुलआअ, भिस, घिस, ओवाह, गुम्म-ये आदेश किन-किन धातुओं को होता है?
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