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________________ धात्वादेश (८) ३६६ नियम ८६१ (निःश्वसेझङ खः ४१२०१) निःश्वसिति को झङ्ख आदेश विकल्प से होता है । निःश्वसिति (झङ्खइ, नीससइ)नीसास लेता है। नियम ८६२ (उल्लसेरूसलोसुम्भ-णिल्लस-पुलआअ-गुजोल्लारोआ: ४।२०२) उल्लसति को ऊसल, ऊसुम्भ, णिल्लस, पुलआअ, गुजोल्ल, आरोअ -ये छ आदेश विकल्प से होते हैं। उल्लसति (ऊसलइ, ऊसुम्भइ, णिल्लसइ, पुलआअइ, गुजोल्लइ ह्रस्वे गुज़ुल्लइ आरोअइ, उल्लसइ) उल्लास पाता है। नियम ८६३ (मासेभिसः ४१२०३) भास् धातु को भिस आदेश विकल्प से होता है। भासते (भिसइ, भासइ) शोभता है, चमकता है। नियम ८९४ (प्रसेधिसः ४।२०४) ग्रसति को घिस आदेश विकल्प से होता है । असति (घिसइ , गसइ) निगलता है।। नियम ८६५ (अवादगाहेर्वाहः .४।२०५) अव से परे गाह, को वाह आदेश विकल्प से होता है। अवगाहते (ओवाहइ, ओगाहइ) अवगाहन करता है। नियम ८९६ (आरुहेश्चड-बलग्गी ४।२०६) आरोहति को चड और वलग्ग आदेश विकल्प से होते हैं । आरोहति (चडइ, वलग्गइ, आरुहइ) चढता है। नियम ८६७ (मुहे गुम्म-गुम्मडो ४।२०७) मुह, धातु को गुम्म और गुम्मड आदेश विकल्प से होता है । मुह्यति (गुम्मइ, गुम्मडइ, मुज्झइ) मुग्ध होता है। नियम ८६८ (बहेरहिऊलालुङ्को ४।२०८) दहति को अहिऊल और आलुङ्ख आदेश विकल्प से होता है । दहति (अहिऊलइ, आलुङ्खइ) जलाता है। नियम ८६६ (ग्रहो-चल-गेण्ह-हर-पङ्ग-निरुवारहिपच्चुआ: ४।२०६) ग्रह, धातु को बल, गेह, हर, पङ्ग, निरुवार और अहिपच्चुअ-ये आदेश विकल्प से होते हैं। गृह्णाति (वलइ, गेण्हइ, हरइ, पङ्गइ, निरुवारइ, अहिपच्चुअइ) ग्रहण करता है। धातु प्रयोग पुत्तो पिअरस्स चरणा फासइ, फंसइ, फरिसइ, छिवइ, छिहइ , आलुङ्खइ, आलिहइ वा । मुणी 'चाउम्मासस्स पवेसाय णयरं रिअड, पविसइ वा। सो तुज्झ सरीरं कहं पम्हुसइ ? चोरो कस्स गिहं पम्हुसइ ? मनीसा गोहूमं णिवहइ, णिरिणासइ, शिरिणज्जइ, रोञ्चइ, चड्डइ, पीसइ वा । कुक्कुरो भुक्कइ, भसइ वा । किसीवलो हलं कड्ढइ, साअड्ढइ, अञ्चइ, अणच्छइ, अयञ्छइ, आइञ्छइ । सेट्ठिणी पलंबं ढुण्ढुल्लइ, ढण्ढोलइ, गमेसइ, धत्तइ, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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