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________________ ३६४ सेहइ, अवरेहइ, नस्सइ) भागता है, पलायन करता है । नियम ८६ ( अवात् काशी वासः ४ १७६) अव से परे काश् धातु को वास आदेश होता है । अवकाशते ( ओवासइ) अवकाश पाता है । नियम ८७० (संदिशेरप्याहः ४११८० ) संदिशति को अप्पाह आदेश विकल्प से होता है । संदिशति (अप्पाहइ, संदिसइ) संदेश देता है । नियम ८७१ (दुशोनिअच्छपेच्छावयच्छावयज्झ वज्ज-सव्वब-वेक्खौ realatara अक्ख- पुलोअ - पुलअ-निआवआस - पासा : ४।१८१ ) दृश् धातु को निअच्छ आदि पन्द्रह आदेश होते हैं। पश्यति (निअच्छइ, पेच्छइ, अवयच्छइ, अवयज्झइ, वज्जइ, सव्ववइ, देक्खइ, ओअक्खर, अवक्खइ, अवअक्खइ, पुलोएइ, पुलएइ, निअइ, अवआसइ, पासइ) देखता है । प्राकृत वाक्यरचना बोध धातु प्रयोग वाक्य किं समणीओ विएस अईंति, अइच्छंति, अणुवज्जंति, अवज्जसंति, उक्कुसंति, अक्कुसंति, पच्चडुंति, पच्छंदंति, णिम्महंति, णींति, णीणंति, णीलुक्कंति, पदअंति, रम्भंति, परिअल्लंति, वोलंति, परिअलंति, णिरिणासंति, विहंति, अवसेहंति, अवहरति, गच्छंति वा । मनीसा विएसाओ अहिपच्चुअंति, आगच्छंति वा । सावगो साहुणो अब्भिहडइ, संगच्छइ वा । सो तुमं उम्मत्थइ, अब्भागच्छइ । बालो विज्जालयाओ पल्लोट्टई, पच्चागच्छ वा । उवज्झायं पासिऊण विज्जद्विणो पडिसांति, परिसामंति, समंति वा । बाला उज्जाणे संखडुंति, खेडुंति, उब्भावंति, किलिकिञ चंति, कोट्टुमंति, मोट्टायंति, णीसरंति, वेल्लंति वा । तुज्झ गंथं अहं अग्घाडामि अग्धवामि, उद्घमामि, अङगुमामि, अहिरेमामि, पूरामि वा । पहिओ वरिसं पासिऊण तुवरइ, जअडइ वा । तुरन्तो पहिओ पडइ । तुज्झ सिरकेसाओ पाणियबिंदूइं खिरंति, भरंति, पज्झरंति, पच्चडंति, णिच्चलंति, णिट्टुअंति वा । विवादे ईसरो उत्थल्लइ । कालपभावाओ नव्वाइं वत्थाइं वि णिट्टुति, विगलंति वा । रुक्खस्स पुप्फाई विसट्टंति, दति वा । मंती णियदेसं वम्फइ, वलइ वा । समयं पूरिता देवा देवलोगाओ फिड्डुति, फिट्टंति, फुडंति, फुट्ट ति, चुक्कंति भुल्लंति वा । साहूणं परीसेहितो पराभूओ सो णिरणासs, णिवहर, अवसेहइ, पडिसाइ, सेहइ, अवरेहइ, नस्सइ वा । कि तुमं दिणे न ओवाससि ? आयरियो जणा अप्पाहइ, संदिसइ वा । सो णियावगुणा निअच्छइ, पेच्छइ, अवयच्छइ, अवयज्झइ, वज्जइ, सव्ववs, देक्खइ, ओअक्खइ, अवक्खइ, अवअक्खइ, पुलोएइ, पुलएइ, निrs, अवआसइ, पासइ वा । हिन्दी में अनुवाद करो एगो मरुओ परदेसं गंतूण साहापाराओ होऊण सविसयमागओ । तस्सऽन्नेण मरुएण 'खद्धादाणिअ' त्तिकाउ दारिगा दिन्ना । सो य लोए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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