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धात्वादेश (७)
शब्द संग्रह ऋद्धिसंपन्न–खद्धादाणिम (वि) अनार्य देश-पच्चंतो पहनना-आविध (धातु) छिपाना-गोव (धातु) दूरकरना--अवणी (धातु) वापस लौट गया-अवक्कत (वि)
नियम ८५२ (गमेरई अइच्छाणुवज्जावज्जसोक्कुसाबकुस-पच्चड्डपच्छन्द-णिम्मह-णी-णीण-णोलुषक-पदअ-रम्भ-परिअल्ल-वोल-परिअल-णिरिणासणिवहावसेहावहरा: ४.१६२) गम् धातु को अई आदि इक्कीस आदेश विकल्प से होते हैं। गच्छति (अईइ, अइच्छइ, अणुवज्जइ, अवज्जसइ, उक्कुसइ, अक्कुसइ, पच्चड्डइ, पच्छंदइ, णिम्महइ, णीइ, णीणइ, णीलुक्क इ, पदअइ, रम्भइ, परिअल्लइ, वोलइ, परिअलइ, णिरिणासइ, णिवहइ, अवसेहइ, अवहरइ, गच्छइ, हम्मइ) जाता है । णिहम्मइ, णीहम्मइ, आहम्मइ, पहम्मइ -ये हम्म धातु से बनते हैं।
नियम ८५३ (आङा अहिपच्चुअः ४११६३) आ सहित गम् धातु को अहिपच्चुअ आदेश विकल्प से होता है । आगच्छति (अहिपच्चुअइ, आगच्छइ) आता है।
नियम ८५४ (समा अभिडः ॥१६४) संपूर्वक गम् धातु को अभिड आदेश विकल्प से होता है । संगच्छते (अभिडइ, संगच्छइ) मिलता है, संगति करता है।
नियम ८५५ (अभ्यडोम्मत्थः ४।१६५) अभि और आ सहित गम् धातु को उम्मत्थ आदेश विकल्प से होता है । अभ्यागच्छति (उम्मत्थइ, अब्भागच्छइ) सामने आता है।
नियम ८५६ (प्रत्याङा पलोट्टः ४११६६) प्रति और आ सहित गम् धातु को पलोट्ट आदेश विकल्प से होता है। प्रत्यागच्छति (पलोट्टइ, पच्चागच्छइ) वापस आता है ।
नियम ८५७ (शमेः पडिसा-परिसामौ ४।१६७) शम् धातु को पडिसा और परिसाम आदेश विकल्प से होता है। शाम्यति (पडिसाइ, परिसामइ, समई) शांत होता है।
नियम ८५८ (रमेः संखुड्ड-खेड्डोम्भाव-किलिकिञ्च-कोट्टम-मोट्टाय णीसर-वेल्लाः ४११६८) रम् धातु को संखुड्डु, खेड्ड, उब्भाव, किलिकिञ्च,
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