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धात्वादेश (६) यह मुर्गी मुझे प्रतिदिन एक ही अण्डा देती है। इसके पेट में सोने के ऐसे बहुत से अण्डे होंगे। यदि मैं इन सभी को एक ही समय में पाऊँ तो मैं धनी हो सकता हूं। अतएव उसने मुर्गी को मारकर उसके पेट को छुरी से काट दिया। लेकिन उसके पेट में एक अण्डा भी नहीं मिला। इस प्रकार जो वह सोने का अण्डा प्रतिदिन पाता था, समाप्त हो गया। साथ ही वह मुर्गी भी समाप्त हो गई। किसान ने अपनी मूर्खता पर खेद प्रकट किया और पश्चात्ताप में डूब गया। वस्तुत: असंतोष और लालच सब दुःखों की जड है।
प्रश्न १. सेंध, दास, पुकार मूर्खता, अंडा, मुर्गी, संतुष्ट, असंतोष के लिए प्राकृत
शब्द बताओ। २. विरल्ल, थिप्प, अल्लिअ, झङ ख, ओअग्ग, समाण, पेल्ल, उत्थंघ,
सोल्ल, णीरव, कमवस, आयम्ब, झङ्ख, तडवड, लिम्प, णड, अवह, सन्दुम, संभाव, खउर, आढव, झङख, पच्चार, जम्भ, णिसुढ, उत्थार, झण्ट, झम्प आदेश किन-किन धातुओं को होता है ?
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