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________________ धात्वादेश (१) है, विलोडन करता है । नियम ८१२ (लादेरवअच्छः ४।१२२) विन्नन्त और अभिन्नन्त ह, लाद् धातु को अवअच्छ आदेश होता है । ह्लादते ( अवअच्छइ ) खुश होता है । हलादयति ( अवअच्छइ ) खुश करता है । नियम ८१३ (नेः सदो मज्जः ४११२३) निपूर्वक सद् धातु को मज्ज आदेश होता है । निषीदति ( णुमज्जइ ) बैठता है । अत्ता एत्थ णुमज्जइ ( आत्मा यहां बैठती है) । नियम ८१४ ( छिवे हाव- णिच्छल्ल - णिज्भोड- णिव्वर - णिल्लूर-लूराः ४१२४) छिद् धातु को दुहाव, णिच्छल्ल, णिज्झोड, णिव्वर, पिल्लूर और णूर ———ये आदेश विकल्प से होते हैं । छिदति ( दुहावइ, णिच्छल्लइ, णिज्झोडइ, णिव्वरइ, पिल्लूरइ, लूरइ, छिंदइ) छेदता है, खंडित करता है । नियम ८१५ (आङा ओअन्दोद्दालों ४।१२५) आ युक्त छिद् धातु को ओअन्द और उद्दाल आदेश विकल्प से होते हैं । आछिदति ( ओअन्दर, उद्दार, आच्छिन्दइ) हाथ से छीनता है । नियम ८१६ ( मुदो मल-मढ परिहट्ट खड्ड- चड्ड-मड्ड-पन्नाडा: ४१२६) मृद्नाति को मल, मढ, परिहट्ट, खड्डु, चड्डु, मड्डु और पन्नाड - - ये सात आदेश होते हैं । मृद्नाति ( मलइ, मढइ, परिहट्टइ, खड्डइ, चडुइ, मड्डुइ, पन्नाss ) मर्दन करता है । नियम ८१७ ( स्पन्देश्चुलुचुलः ४।१२७ ) स्पन्द् धातु को चुलुचुल आदेश विकल्प से होता है । स्पन्दते ( चुलुचुलइ, फन्दइ) फडकता है, थोडा हिलता है । नियम ८१८ ( निरः पर्वलः ४। १२८ ) निर् प्रर्वक पद् आदेश विकल्प से होता है । निष्पद्यते ( निव्वलइ, निप्पज्जइ ) है, सिद्ध होता है । नियम ८१६ ( विसंवदेविअट्ट - विलोट्ट-फंसाः ४ । १२६) वि और सं पूर्वकवद् धातु को विअट्ट, विलोट्ट और फंस - ये आदेश विकल्प से होते हैं । विसंवदते (विअट्ट, विलोट्टइ, फंसइ, विसंवयइ) अप्रमाणित होता है । नियम ८२० (शदो झड-पक्खोडी ४|१३०) शीयते को झड और पक्खोड आदेश होते हैं । शीयते ( झडइ, पक्खोडइ) झडता है, पके फल Jain Education International ३८३ गिरता है । नियम ८२१ ( आक्रन्दे र्णीहरः ४११३१) आक्रन्दति को णीहर आदेश होता है । आक्रन्दति (णीहरइ ) चिल्लाता है । नियम ८२२ ( खिबेर्जूर - विसरो ४।१३२) खिद् धातु को जूर और विसूर आदेश विकल्प से होता है । खिद्यते (जूरइ, विसूरइ, खिज्जइ ) खेद करता है, अफसोस करता है । For Private & Personal Use Only धातु को वल निष्पन्न होता www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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