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________________ १०४ धात्वादेश (५) शब्द संग्रह दीवार, भीत-भित्ति (स्त्री) पर-चलणो पोला-पोल्ल (वि) स्तूप--थूभो क्रम-कमो मायका-माउघरो, माउघरं आज्ञाकारी-आणाइत्त (वि) उदित-उइयं उपार्जित-उवज्जिय (वि) भरपूर-णिब्भरो मांसरहित-णिम्मंसं प्रतिज्ञा, नियम-अभिग्गहो प्रसंग-वइअरो उतरकर-ओयरिऊण चक्र-चक्को नियम ८०५ (मण्डेश्चिञ्च-चिञ्चअ-चिञ्चिल्ल-रीड-टिविडिक्काः ४।११५) मण्डि धातु को चिञ्च, चिञ्चअ, चिञ्चिल्ल, रीड, टिविडिक्क-ये पांच आदेश विकल्प से होते हैं । मण्डयति (चिञ्चइ, चिञ्चिअइ, चिञ्चिल्लइ, रीडइ, टिविडिक्कइ, मण्डइ) भूषित करता है, सजाता है । नियम ८०६ (तुडेस्तोड-तुट्ट-खट्ट-खुडोक्खुडोल्लुक्क-णिलुक्कलुक्कोल्लूराः ४।११६) तुड् धातु को तोड, तुट्ट, खुट्ट, खुड, उक्खुड, उल्लुक्क, णिलुक्क, लुक्क, उल्लूर-ये आदेश विकल्प से होते हैं । तुडति (तोडइ, तुट्टइ, खुट्टइ, खुडइ, उक्खुडइ, उल्लुक्कइ, णिलुक्कइ, लुक्कइ, उल्लूरइ, तुडइ) तोडता है, भेदन करता है। नियम ८०७ (चूर्णो घुल-घोल-घुम्म-पहल्लाः ४११७)घूर्ण धातु को घुल, घोल, घुम्म और पहल्ल-ये चार आदेश विकल्प से होते हैं । घूर्णति (घुलइ, घोलइ, घुम्मइ, पहल्लइ) घूमता है, चक्राकार घूमता है। नियम ८०८ (विवृतेवंसः ४१११८) विवृत् धातु को दस आदेश विकल्प से होता है । विवर्तते (दंसइ, विवट्टइ) धंसता है, गिर पडता है। नियम ८०६ (क्वथेरट्टः ४।११६) क्वथ् धातु को अट्ट आदेश विकल्प से होता है । क्वथति (अट्टइ, कढइ) क्वाथ करता है। नियम ८१० (ग्रंथो गण्ठः ४१२०) ग्रन्थ् धातु को गण्ठ आदेश विकल्प से होता है। प्रथ्नाति (गण्ठइ) गूंथता है।। नियम ८११ (मन्थे घुसल-विरोलो ४।१२१) मन्थ् धातु को घुसल और विरोल आदेश विकल्प से होते हैं । मथ्नाति (घुसलइ विरोलइ) मथता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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