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धात्वादेश (५)
शब्द संग्रह दीवार, भीत-भित्ति (स्त्री) पर-चलणो पोला-पोल्ल (वि)
स्तूप--थूभो क्रम-कमो
मायका-माउघरो, माउघरं आज्ञाकारी-आणाइत्त (वि) उदित-उइयं उपार्जित-उवज्जिय (वि) भरपूर-णिब्भरो मांसरहित-णिम्मंसं
प्रतिज्ञा, नियम-अभिग्गहो प्रसंग-वइअरो
उतरकर-ओयरिऊण चक्र-चक्को
नियम ८०५ (मण्डेश्चिञ्च-चिञ्चअ-चिञ्चिल्ल-रीड-टिविडिक्काः ४।११५) मण्डि धातु को चिञ्च, चिञ्चअ, चिञ्चिल्ल, रीड, टिविडिक्क-ये पांच आदेश विकल्प से होते हैं । मण्डयति (चिञ्चइ, चिञ्चिअइ, चिञ्चिल्लइ, रीडइ, टिविडिक्कइ, मण्डइ) भूषित करता है, सजाता है ।
नियम ८०६ (तुडेस्तोड-तुट्ट-खट्ट-खुडोक्खुडोल्लुक्क-णिलुक्कलुक्कोल्लूराः ४।११६) तुड् धातु को तोड, तुट्ट, खुट्ट, खुड, उक्खुड, उल्लुक्क, णिलुक्क, लुक्क, उल्लूर-ये आदेश विकल्प से होते हैं । तुडति (तोडइ, तुट्टइ, खुट्टइ, खुडइ, उक्खुडइ, उल्लुक्कइ, णिलुक्कइ, लुक्कइ, उल्लूरइ, तुडइ) तोडता है, भेदन करता है।
नियम ८०७ (चूर्णो घुल-घोल-घुम्म-पहल्लाः ४११७)घूर्ण धातु को घुल, घोल, घुम्म और पहल्ल-ये चार आदेश विकल्प से होते हैं । घूर्णति (घुलइ, घोलइ, घुम्मइ, पहल्लइ) घूमता है, चक्राकार घूमता है।
नियम ८०८ (विवृतेवंसः ४१११८) विवृत् धातु को दस आदेश विकल्प से होता है । विवर्तते (दंसइ, विवट्टइ) धंसता है, गिर पडता है।
नियम ८०६ (क्वथेरट्टः ४।११६) क्वथ् धातु को अट्ट आदेश विकल्प से होता है । क्वथति (अट्टइ, कढइ) क्वाथ करता है।
नियम ८१० (ग्रंथो गण्ठः ४१२०) ग्रन्थ् धातु को गण्ठ आदेश विकल्प से होता है। प्रथ्नाति (गण्ठइ) गूंथता है।।
नियम ८११ (मन्थे घुसल-विरोलो ४।१२१) मन्थ् धातु को घुसल और विरोल आदेश विकल्प से होते हैं । मथ्नाति (घुसलइ विरोलइ) मथता
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