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________________ १०३ धात्वादेश (४) शब्द संग्रह पद्य-पज्ज अनुयायी-अणुगमिर (वि) व्यक्तित्व-वत्तित्तणं अपशकुन-अवसउणं उपहार--उवहारो पति-दइयो सज्जन-सुअणो स्वप्न-सिविणं जो दीखता न हो-अईसन्तो चुगली-पिट्ठिमंसं स्वाधीन-साहीण (वि) यात्री--जत्तिओ नियम ७८४ (रचेरुग्गहावह-विडविड्डाः ४६४) रच् धातु को उग्गह, अवह और विडविड्ड-ये तीन आदेश विकल्प से होते हैं। रचयति (उग्गहइ, अवहइ, विडविड्डइ, रयइ) बनाता है । नियम ७८५ (समारचेरवहत्थ-सारव-समार-केलायाः ४६५) समारच धातु को उवहत्य, सारव, समार और केलाय-ये आदेश विकल्प से होते हैं। समारचयति (उवहत्थइ, सारवइ, समारइ और केलायइ, समारयइ) बनाता है। नियम ७८६ (सिचेः सिञ्च-सिम्पो ४।६६) सिञ्चति (सिच्) को सिञ्च और सिम्प आदेश विकल्प से होते हैं । सिञ्चति (सिञ्चइ, सिम्पइ, सेअइ) सींचता है, छिडकता है। नियम ७८७ (प्रच्छः पुच्छः ४६७) प्रच्छ धातु को पुच्छ आदेश होता है । पृच्छति (पुच्छइ) पूछता है । नियम ७८८ (गर्जे बुक्कः ४।६८) गर्जति को बुक्क आदेश विकल्प से होता है । गर्जति (बुक्कइ, गज्जइ) गरजता है। __ नियम ७८६ (वृषे टिक्कः ४।६६) वृष कर्ता हो तो गर्भ धातु को ढिक्क आदेश विकल्प से होता है । वृषभो गर्जति (ढिक्कइ) सांड गरजता है । . नियम ७९० (राजेरग्घ-छज्ज-सह-रीर-रेहाः ४११००) राज धातु को अग्घ, छज्ज, सह, रीर और रेह-ये पांच आदेश विकल्प से होते हैं। राजति, राजते (अग्घइ, छज्जइ, सहइ, रीरइ, रेहइ, रायइ) शोभता है, चमकता है। नियम ७६१ (मस्जेराउड-णिउड्ड-बुड्ड-खुप्पाः ४११०१) मज्जति को आउड्ड, णिउड्ड, बुड्ड और खुप्प-ये चार आदेश विकल्प से होते हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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