SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 391
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०२ धात्वादेश (३) शब्द संग्रह महल-पासायो गाडी-सगडं दाना-कणो वृत्ति-वित्ति (स्त्री) धान्यागार-धण्णागारं सफाई-पमज्जणं सुरक्षित–सुरक्खिअ (वि) लापरवाही-अजागरुअया रहस्य-रहस्स (वि) रसोई बनाने वाली-महाणसिणी भंडार-भंडारो नियम ७६२ (क्षुरे कम्मः ४७२) क्षुर विषय में कृ धातु को कम्म आदेश विकल्प से होता है । क्षुरं करोति (कम्मइ) हजामत करता है। नियम ७६३ (चाटौ गुललः ४।७३) चाटु विषय में कृ धातु को गुलल आदेश विकल्प से होता है। चाटु करोति (गुललइ) खुशामद करता नियम ७६४ (स्मरे झर-झूर-भर-भल-लढ-विम्हर-सुमर-पयर-पम्हुहाः ४१७४) स्मर धातु को झर, झूर, भर, भल, लढ, विम्हर, सुमर, पथर और पम्हह-ये नव आदेश विकल्प से होते हैं। स्मरति (झरइ, झूरइ, भरइ, भलइ, लढइ, विम्हरइ, सुमरइ, पयरइ, पम्हुहइ) स्मरण करता है, याद करता है। नियम ७६५ (विस्मुः पम्हुस-विम्हर-बीसराः ४।७५) विस्मरति को पम्हस, विम्हर और वीसर आदेश होते हैं। विस्मरति (पम्हुसइ, विम्हरइ, वीसरइ) भूलता है। नियम ७६६ (व्याहगेः कोक्क-पोक्को ४७६) व्याहरति को कोक्क और पोक्क आदेश विकल्प से होता है। व्याहरति (कोक्कइ, कुक्कइ । पोक्कइ, वाहरइ) बुलाता है। नियम ७६७ (प्रसरेः पयल्लोवेल्लो ४७७) प्रसरति को पयल्ल और उवेल्ल आदेश विकल्प से होता है। प्रसरति (पयल्लइ, उवेल्लइ, पसरइ) फैलता है। नियम ७६८ (महमहो गन्धे ४७८) गंध का फैलना अर्थ में महमह आदेश होता है। गंधो प्रसरति (महमहइ) गंध फैलती है। नियम ७६६ (निस्सरे गहिर-नील-बाड-वरहाडाः ४७९) निस्सरति Jain Education International For Private & Personal Use Only I Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy