SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 390
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धात्वादेश ( २ ) धातुओं का प्रयोग करो वह घास खरीदता है । तुम घी बेचते हो। वह किसी से नहीं डरता है । विद्यार्थी अध्यापक से क्यों छिपता है ? अग्नि से नवनीत पिघलता है । पक्षी आवाज करते हैं । मेरी बात कौन सुनता है ? तुम तालाब के पानी को क्यों कंपाते हो ? जो होना होता है वही होता है । फूल वृक्ष से पृथक् होता है । साधु संघ से पृथक् क्यों होता है ? वह तुम्हारे सामने स्पष्ट होता है । तुम वर्षा में घर पहुंचते हो। क्या तुम उसका हित करते हो ? गांव की स्त्रियां नव वधू के वर को कानी नजर से देखती हैं । तुम्हारी गति को किसने स्तब्ध किया ? वह वृक्ष की डाली का आलम्बन लेता है । मैं प्रतिदिन शरीर का श्रम करता हूं । उसकी इच्छा के प्रतिकूल होने से उसने क्रोध से होठ को मलिन किया । वह अपने अधोवस्त्र को ढीला करता है । वृक्ष पर क्या लटकता है ? तुम व्यर्थ में पानी का निष्पतन करते हो । वह आच्छोटन क्यों करता है ? पन १. घोंसला, विशाल, दया, बर्फ, घास, तट, आराम, अल्प, जोर और आवाज - इन शब्दों के लिए प्राकृत शब्द बताओ । २. किण, भा, बीह, अल्ली, णिलुक्क, विलिज्ज, लुक्क, हण, णिव्वड, णिआर, संदाण, णिल्वोल, पयल्ल आदेश किन धातुओं को किस अर्थ में आदेश होता है ? Jain Education International ३७३ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy