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________________ धात्वादेश (३) ३७५ को णीहर, नील, धाड और वरहाड – ये चार आदेश विकल्प से होते हैं । निस्सरति (णीहरइ, नीलइ, धाडइ, वरहाडइ, नीसरइ) बाहर निकलता है । नियम ७७० ( जान ज्र्जन्ग: ४।८० ) जागर्ति को जग्ग आदेश विकल्प से होता है । जागत (जग्गई, जागरइ) जागता है । नियम ७७१ ( व्याप्रेराअड्डः ४१८१) विकल्प से होता है । व्यापिपत्ति (आअड्डेइ, व्यापृत होता है । व्यापिपत्ति को आअड्ड आदेश वावरेइ) काम में लगता है, नियम ७७२ (संवृगे: साहर-साहट्टी ४१८२) संवृणोति को साहर और साहट्ट आदेश विकल्प से होता है । संवृणोति ( साहरइ, साहट्टइ, संवरइ ) समेटता है, संवरण करता है । नियम ७७३ (आवृङ : सन्नामः ४१८३ ) आद्रियते को सन्नाम आदेश विकल्प से होता है । आद्रियते ( सन्नामइ ) आदर करता है । नियम ७७४ ( प्रहृगे: सारः ४८४) प्रहरति को सार आदेश विकल्प से होता है । प्रहरति ( सारइ) प्रहार करता है । नियम ७७५ ( अवतरेरोह - ओरसौ ४।८५) अवतरति को ओह और ओरस आदेश विकल्प से होता है । अवतरति ( ओहइ, ओरसइ) नीचे उतरता है । नियम ७७६ ( शकेश्चय तर तीर पारा ४१८६ ) शक् धातु को चय, तर, तीर और पार ये चार आदेश विकल्प से होते हैं । शक्नोति ( चयइ, तरइ, तीरइ, पारइ, सक्कइ ) सकता है । त्यजति को चयइ, तरति को तरइ, तीरयति को तीरइ, पारयति को पारेइ आदेश भी होते हैं । नियम ७७७ (फक्कस्थक्कः ४१८७ ) फक्कति को थक्क आदेश होता है । कक्कति ( थक्कइ ) नीचे आता है । नियम ७७८ ( श्लाघः सलहः ४।८८ ) श्लाघते को सलह आदेश होता है | श्लाघते ( सलहइ ) प्रशंसा करता है । नियम ७७६ (खचेर्वेअड: ४१८६) खच् धातु को वेअड विकल्प से आदेश होता है । खचते ( वेअडइ, खचइ) पावन करता है । नियम ७८० (पचे: सोल्ल-पउल्लो ४।१० ' ० ) पचति को सोल्ल और पउल आदेश विकल्प से होता है । पचति ( सोल्लइ, पउलइ, पचइ) पकाता है । नियम ७५१ ( मुचेश्छड्डावहेड- मेलोस्सिकक-रेअव-जिल्लुञ्छधंसाडा: ४१) मुञ्चति को छड्डु, अवहेड, मेल्ल, उस्सिक्क, रेअव, णिल्लुञ्छ, धंसाड - ये सात आदेश विकल्प से होते हैं । मुञ्चति (छड्डुइ, अवहेडइ, मेल्लइ, उस्सिक्es, ras, पिल्लुञ्छइ, धंसाडइ, मुअइ ) छोडता है । नियम ७८२ (दुःखेणिव्वलः ४/१२) दुख विषयक मंच धातु को णिव्वल आदेश विकल्प से होता है । दुःखं मुञ्चति (मिब्बलेइ ) दुख को Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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